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April 26, 2025 3:12 PM

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के नक्षत्र डॉ. कस्तूरीरंगन नहीं रहे: इसरो के स्वर्ण युग के शिल्पकार का निधन84 वर्ष की आयु में बेंगलुरू में ली अंतिम सांस, देशभर में शोक

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नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष विज्ञान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले डॉ. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरू में निधन हो गया। 84 वर्षीय डॉ. कस्तूरीरंगन पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे और शुक्रवार, 25 अप्रैल को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका जाना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

इसरो में स्वर्णिम युग के आर्किटेक्ट

1994 से 2003 तक इसरो के अध्यक्ष रहे डॉ. कस्तूरीरंगन ने अपने कार्यकाल में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई। उन्होंने इनसेट-2 और आईआरएस सैटेलाइट्स जैसे महत्वपूर्ण मिशनों का नेतृत्व किया। इससे पहले वे इसरो के सैटेलाइट सेंटर के निदेशक थे और उपग्रह निर्माण व वैज्ञानिक अनुसंधान को नई दिशा देने वाले अभियानों का पर्यवेक्षण कर चुके थे।

पद्म सम्मान से हुए गौरवान्वित

उनके अभूतपूर्व योगदान को मान्यता देते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री (1982), पद्म भूषण (1992) और पद्म विभूषण (2000) से सम्मानित किया। वे योजना आयोग के सदस्य भी रहे और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते रहे।

शिक्षा नीति के शिल्पकार

डॉ. कस्तूरीरंगन केवल अंतरिक्ष वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि एक विजनरी एजुकेशनिस्ट भी थे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख रचनाकार के रूप में उनका योगदान देश के शैक्षिक भविष्य को आकार देने वाला माना जाता है।

प्रधानमंत्री ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर शोक जताते हुए लिखा,

“डॉ. कस्तूरीरंगन का निधन भारत की वैज्ञानिक यात्रा के लिए एक गंभीर क्षति है। उन्होंने इसरो में अपने नेतृत्व से भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक मान्यता दिलाई। उनके दूरदर्शी योगदान को देश कभी नहीं भूलेगा।”

संघ, शिक्षा मंत्री और मप्र CM ने भी दी श्रद्धांजलि

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुए उन्हें मानवतावादी और बहुआयामी प्रतिभा बताया। संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि कस्तूरीरंगन एक दैदीप्यमान नक्षत्र थे, जिन्होंने विज्ञान, शिक्षा, नीति और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि,

“राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उनका योगदान दूरदर्शिता का प्रमाण है। उनकी विरासत भावी वैज्ञानिकों को प्रेरित करती रहेगी।”

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा,

“विज्ञान और शिक्षा द्वारा राष्ट्रसेवा को समर्पित उनका जीवन भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्तंभ बना रहेगा।”

डॉ. के. कस्तूरीरंगन अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका योगदान, सोच और दूरदृष्टि हमेशा भारतीय विज्ञान और शिक्षा के आकाश में चमकती रहेगी।


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