- उदंती एरिया कमेटी ने किया ऐतिहासिक फैसला, 20 अक्टूबर को होगी आत्मसमर्पण की प्रक्रिया; छत्तीसगढ़ में शांति की नई उम्मीद
नई दिल्ली। जब देश दीपावली के पर्व पर रोशनी से जगमगाएगा, उसी दिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले में एक ऐतिहासिक परिवर्तन देखने को मिलेगा। वर्षों से जंगलों में सक्रिय उदंती एरिया कमेटी के लगभग 100 माओवादी अपने हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में लौटने जा रहे हैं। यह आत्मसमर्पण केवल एक संगठनात्मक निर्णय नहीं, बल्कि उस सोच की हार है जो हिंसा के रास्ते से बदलाव लाना चाहती थी।
इस सामूहिक आत्मसमर्पण का फैसला ऐसे समय आया है जब हाल ही में महाराष्ट्र में भूपति के 61 साथियों और बस्तर में रूपेश के 210 माओवादियों ने भी लाल आतंक का रास्ता छोड़कर संविधान पर भरोसा जताया है। इन घटनाओं के बाद अब उदंती क्षेत्र के नक्सलियों का आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ में शांति और विकास की एक नई शुरुआत मानी जा रही है।
20 अक्टूबर को आत्मसमर्पण की तारीख तय
उदंती एरिया कमेटी के प्रमुख माओवादी सुनील ने एक अपील पत्र जारी कर 20 अक्टूबर को आत्मसमर्पण की औपचारिक प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। इस पत्र में सुनील ने संगठन के बाकी यूनिटों से सोमवार दोपहर 12:30 बजे मिलने का आह्वान किया है, ताकि सशस्त्र आंदोलन को विराम दिया जा सके।
पत्र में माओवादी सुनील का दर्द साफ झलकता है। उसने लिखा है — “पहले हमें बचना है, उसके बाद ही किसी संघर्ष की बात की जा सकती है।” यह पंक्ति उस निराशा और असमंजस को दर्शाती है जो संगठन के भीतर लगातार बढ़ रही है।
सुनील ने यह भी स्वीकार किया कि केंद्रीय समिति समय रहते सही निर्णय नहीं ले सकी, जिसके कारण कई महत्वपूर्ण साथी और क्षेत्रीय कमांडर मारे गए। लगातार पुलिस कार्रवाई, थकान, आंतरिक मतभेद और नेतृत्व की कमजोर रणनीति ने संगठन की कमर तोड़ दी है।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने किया स्वागत, कहा — यह दीपावली शांति की रोशनी लाएगी
गरियाबंद के पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने कहा, “त्योहार के इस पावन अवसर पर माओवादियों का यह फैसला प्रतीकात्मक और प्रेरणादायक दोनों है। वर्षों से जिस क्षेत्र में हिंसा का अंधेरा था, वहां अब दीपावली की रोशनी शांति का संदेश लेकर आएगी।”
उन्होंने बताया कि पुलिस और प्रशासन लगातार अपील कर रहे हैं कि माओवादी मुख्यधारा में लौट आएं। उदंती कमेटी का यह निर्णय बाकी यूनिटों — गोबरा, सीनापाली और सीतानदी — के लिए अंतिम संदेश होना चाहिए।
एसपी ने यह भी कहा कि “सरकार की पुनर्वास नीति न केवल आत्मसमर्पण करने वालों की सुरक्षा की गारंटी देती है, बल्कि उनके लिए नए जीवन की राह भी खोलती है। जो भी माओवादी हथियार डालेंगे, उन्हें शिक्षा, रोजगार और पुनर्वास का पूरा अवसर दिया जाएगा।”
एक लाख का इनामी माओवादी भी हुआ आत्मसमर्पित
इधर, गरियाबंद जिले में एक और बड़ी खबर सामने आई है। एक लाख रुपये के इनामी माओवादी पिलसाय कश्यप ने शनिवार को पुलिस अधीक्षक वाय अक्षय कुमार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
कश्यप संगठन में एक सक्रिय कमांडर था और लंबे समय से पुलिस के रडार पर था। लेकिन लगातार साथियों की मौत, संगठन में फूट और सुरक्षित जीवन की चाह ने उसे हथियार डालने के लिए मजबूर किया।
पिलसाय कश्यप को छत्तीसगढ़ सरकार की ‘आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025’ के तहत 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है। अब उसे पुनर्वास शिविर में भेजा गया है, जहां उसकी सुरक्षा और पुनर्वास की व्यवस्था की गई है।
शांति की राह पर छत्तीसगढ़
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आत्मसमर्पण केवल एक क्षेत्रीय घटना नहीं, बल्कि राज्य की शांति प्रक्रिया में निर्णायक मोड़ है। पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ में 700 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। राज्य सरकार की नई नीति — “बंदूक छोड़ो, जिंदगी अपनाओ” — अब असर दिखाने लगी है।
इस नीति में आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को सुरक्षित पुनर्वास, शिक्षा, आवास, स्वास्थ्य सुविधाएँ और रोजगार प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही उनके परिवारों को भी सरकारी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब उदंती, सीतानदी और गोबरा क्षेत्रों में माओवादी गतिविधियाँ बहुत सीमित रह गई हैं। आत्मसमर्पण के इस क्रम से सुरक्षा बलों को भी राहत मिलेगी और स्थानीय लोगों में भय का माहौल खत्म होगा।
दीपावली पर शांति का संदेश
दीपावली का यह पर्व इस बार सिर्फ घरों और गलियों में ही नहीं, बल्कि उन जंगलों में भी रौशनी लेकर आएगा जो अब तक बंदूक की गोली से कांपते थे।
गरियाबंद, बस्तर और सुकमा के ग्रामीण इलाकों में आत्मसमर्पण की खबरों से लोगों में राहत और उम्मीद की लहर है। स्थानीय सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह बदलाव तभी स्थायी होगा जब इन पूर्व माओवादियों को रोजगार, शिक्षा और सामाजिक सम्मान की राह पर टिकाए रखा जाए।
राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि आने वाले महीनों में और भी माओवादी आत्मसमर्पण करने की तैयारी में हैं। इस प्रकार दीपावली के दिन 100 माओवादियों का आत्मसमर्पण न केवल एक प्रतीकात्मक घटना है, बल्कि छत्तीसगढ़ में स्थायी शांति की दिशा में मजबूत कदम भी है।