भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर की कृपा से खुलते हैं धन-समृद्धि और स्वास्थ्य के द्वार
धनतेरस 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धन-संपत्ति बढ़ाने के उपाय जानिए विस्तार से
नई दिल्ली।
दीपावली का शुभारंभ धनतेरस से होता है, जो समृद्धि, आरोग्य और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है।
मान्यता है कि इस दिन यदि विधिवत पूजा और कुछ विशेष उपाय किए जाएं, तो जीवन में धन, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
🌟 धनतेरस का महत्व
धनतेरस केवल सोना-चांदी खरीदने का दिन नहीं है, बल्कि यह समृद्धि, आयु और स्वास्थ्य की कामना का पर्व है।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करने से न केवल धन की वृद्धि होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में रोग, भय और नकारात्मकता भी दूर होती है।
भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक कहा गया है। अतः उनकी पूजा से दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
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🕉️ धनतेरस 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
धनतेरस 2025 में 25 अक्टूबर (शनिवार) को मनाई जाएगी।
- धनतेरस पूजन मुहूर्त: शाम 6:50 बजे से 8:30 बजे तक
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 25 अक्टूबर सुबह 10:15 बजे
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: 26 अक्टूबर सुबह 9:00 बजे
इस समय में लाभ, अमृत और प्रदोष काल का योग रहेगा, जो पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
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🪔 धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Pooja Vidhi)
1️⃣ घर की शुद्धि और सजावट
धनतेरस से पहले घर को अच्छी तरह साफ करें और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
मुख्य द्वार पर आम और अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं और द्वार के दोनों ओर दीपक जलाएं।
यह मां लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक माना जाता है।
2️⃣ पूजन स्थान की तैयारी
घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में स्वच्छ चौकी बिछाकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
उस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर और गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
साथ ही, धन्वंतरि प्रतिमा के सामने तांबे या पीतल का कलश रखें जिसमें जल, सुपारी, चावल और सिक्के डालें।
3️⃣ पूजन सामग्री
धूप, दीप, रोली, चावल, फूल, तिल, गंगाजल, दूध, शहद, पंचामृत, मिठाई, लौंग, इलायची, और तुलसी के पत्ते रखें।
इसके अलावा 13 दीपक (तेल या घी के) जलाना शुभ माना जाता है।
4️⃣ भगवान धन्वंतरि की पूजा विधि
- सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें।
- फिर भगवान धन्वंतरि का मंत्र जाप करें:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय नमः।” - भगवान को तुलसी पत्ती, लौंग और शहद अर्पित करें।
- पूजा के अंत में आरती करें और दीपक जलाकर कलश के पास रखें।
5️⃣ माता लक्ष्मी और कुबेर पूजा
धन्वंतरि पूजन के बाद माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करें।
लक्ष्मी मंत्र का जाप करें:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः।”
फिर कुबेर देव का ध्यान करें और प्रार्थना करें कि आपके घर में धन और सौभाग्य का वास बना रहे।
6️⃣ दीपदान का महत्व
धनतेरस की शाम यम दीपदान भी किया जाता है।
मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके एक दीपक जलाएं और कहें—
“मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यो जातु मम गृहात्॥”
यह दीपक असमय मृत्यु के भय को दूर करता है और परिवार की रक्षा करता है।
💰 धनतेरस पर क्या खरीदें
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, ताम्र पात्र या इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।
हालांकि असली महत्त्व इन वस्तुओं को “नवसंपत्ति का प्रतीक” मानकर ग्रहण करने में है, न कि दिखावे में।
कहा गया है—“धन की शुरुआत शुभ भाव से हो, तभी वह बढ़ता है।”
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🪶 धनतेरस पर किए जाने वाले शुभ उपाय
🔹 1. दीपक जलाने का विशेष उपाय
धनतेरस की रात घर के सभी कोनों में तेल के दीपक जलाएं।
खासकर रसोईघर, तिजोरी और पूजा स्थान में दीपक अवश्य रखें।
इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मां लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
🔹 2. तिजोरी में रखिए चांदी का सिक्का
चांदी का सिक्का खरीदकर उसे कुंकुम और चावल से पूजें और तिजोरी में रखें।
यह संपत्ति में वृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
🔹 3. तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं
धनतेरस की शाम तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना शुभ होता है।
यह घर में आरोग्य और पारिवारिक सौहार्द बनाए रखता है।
🔹 4. धन्वंतरि मंत्र का जाप करें
यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार है, तो इस दिन धन्वंतरि मंत्र का 108 बार जाप करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
🔹 5. दान का पुण्य
धनतेरस पर अन्न, कपड़े या दीपक दान करने से जीवन में अन्न, धन और यश की वृद्धि होती है।
विशेष रूप से ब्राह्मण या गरीब परिवार को दीपक या बर्तन दान करना अत्यंत फलदायक होता है।
🌼 धनतेरस के बाद दीपावली का आरंभ
धनतेरस के बाद ही चार दिन तक चलने वाले दीपोत्सव पर्व की शुरुआत होती है —
नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज।
धनतेरस की शाम से ही पूरे घर में दीप प्रज्वलन का वातावरण बन जाता है और “अंधकार से प्रकाश की ओर” की भावना साकार होती है।
✨ समृद्धि और स्वास्थ्य का पर्व
धनतेरस वास्तव में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों समृद्धियों का संगम है।
यह दिन हमें सिखाता है कि धन केवल भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि आरोग्य, संतोष और कर्तव्यबोध का प्रतीक है।
जब व्यक्ति ईमानदारी और सकारात्मकता से अर्जित धन का उपयोग समाज के हित में करता है, तभी वह वास्तविक ‘धनवान’ बनता है।
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