फिल्म संगीत से आध्यात्मिक अनुसंधान तक देवऋषि की अनोखी यात्रा | उज्जैन में होगा मंत्रों का वैज्ञानिक परीक्षण
भोपाल। आधुनिक विज्ञान और प्राचीन वेदों के बीच की खाई को पाटने की दिशा में भारत ने एक नया अध्याय शुरू किया है। इस परिवर्तन की अगुवाई कर रहे हैं संगीतकार से अध्यात्मिक वैज्ञानिक बने देवऋषि (पूर्व में ऋषिकेश पांडेय ‘RishiKing’), जिन्होंने नाद योग रिसर्च काउंसिल (NYRC) की स्थापना की है — एक ऐसी संस्था जो वेदों, मंत्रों, ध्वनि और स्वर विज्ञान पर आधारित चिकित्सा पद्धतियों को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करने की दिशा में कार्यरत है।
क्या मंत्रों से इलाज संभव है?
देवऋषि का मानना है कि मंत्र केवल आध्यात्मिक आस्था के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि ध्वनि की वैज्ञानिक संरचना हैं, जिनका उपयोग मानसिक स्वास्थ्य, ऊर्जा संतुलन और यहां तक कि रोग निवारण में भी किया जा सकता है।
“हमारा उद्देश्य मंत्रों को मेडिकल-ग्रेड साउंड टूल्स के रूप में विकसित करना है, ना कि केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित रखना।” — देवऋषि
NYRC के शोध क्षेत्र
नाद योग रिसर्च काउंसिल वर्तमान में निम्नलिखित पांच प्रमुख क्षेत्रों में अनुसंधान कर रही है:
- मंत्रों की ध्वनि आवृत्तियों का विश्लेषण
- रोग विशेष पर मंत्रों के प्रभाव का परीक्षण
- Standard tuning protocols तैयार करना — जिससे डॉक्टर मंत्रों को एक निर्धारित स्वर और रफ्तार में उपयोग कर सकें
- स्वर योग की वैज्ञानिक पुनर्व्याख्या — जिसमें नाड़ी, चक्र और श्वास के साथ मंत्रों के कंपन को मापा जा रहा है
- शोध निष्कर्षों को आयुष मंत्रालय, WHO और अन्य वैश्विक संस्थानों से साझा करना
विश्व योग दिवस पर ऐतिहासिक प्रयोग
21 जून 2025 को उज्जैन में विश्व योग दिवस के अवसर पर एक बड़ा प्रयोग आयोजित होगा। इस प्रयोग में 51 वैदिक ब्राह्मण विशेष वैदिक मंत्रों का सामूहिक उच्चारण करेंगे, जिसे पूरी तरह से वैज्ञानिक ढांचे में डिज़ाइन किया गया है।
AIIMS, IIT, ISRO और कई अन्य संस्थानों के वैज्ञानिक इस दौरान मंत्रों के प्रभाव को energy fields, brain waves और neurological responses के आधार पर मापेंगे।
वैश्विक विस्तार और दार्शनिक सहयोग
NYRC की दृष्टि वैश्विक है। इसके तहत:
- MIT, Oxford, Kyoto University जैसे संस्थानों से शैक्षणिक सहयोग की दिशा में बातचीत चल रही है।
- Sonic Philosophy Global Forum की स्थापना हो रही है — जहां वैश्विक वैज्ञानिक और योगिक चिंतक मिलकर ध्वनि पर काम करेंगे।
- “Nada Darshan Manifesto” और “Sound Consciousness Research Series” जैसे दस्तावेज़ों के ज़रिए शोध को औपचारिक रूप दिया जा रहा है।
देवऋषि: एक अनूठी यात्रा
देवऋषि, जिन्होंने कभी फिल्मी दुनिया में RishiKing के नाम से ख्याति प्राप्त की, आज एक साधक, लेखक और ध्वनि-विज्ञान के वैज्ञानिक हैं। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान, सरकारी सांस्कृतिक प्रोजेक्ट्स और संगीत कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन फिर उन्होंने अपना जीवन आध्यात्म और शोध को समर्पित कर दिया।
“नाद ही ब्रह्म है — यह केवल दर्शन नहीं, विज्ञान है।” — देवऋषि
साहित्य और सिनेमा में योगदान
- “रामराजा” — एक ऐतिहासिक पुस्तक, जिसे देवऋषि ने एक वरिष्ठ IAS अधिकारी के साथ सह-लेखन किया है। इस पर अब एक फिल्म निर्माणाधीन है।
- “विक्रमादित्य श्रृंखला” — जिसमें “शाकरी – विक्रमादित्य” और “सम्राट विक्रमादित्य” जैसे ग्रंथ प्रकाशित होने हैं। इनकी भूमिका स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लिखी है।
चिकित्सा का भविष्य: ध्वनि से उपचार
NYRC का प्रयास केवल नई चिकित्सा प्रणाली विकसित करना नहीं, बल्कि भारत की नाद परंपरा को पुनर्स्थापित करना है — वैज्ञानिक भाषा में, वैश्विक मंच पर। देवऋषि का कहना है कि भावी चिकित्सा पद्धति संभवतः दवा से नहीं, ध्वनि से होगी। और यह भारत की देन होगी।
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