August 1, 2025 2:35 AM

देवी चौधुरानी: भारत-यूके की पहली ऐतिहासिक को-प्रोडक्शन फिल्म दुर्गा पूजा 2025 पर होगी रिलीज

  • फिल्म में बंगाल के दो नामी सितारे प्रसेनजीत चटर्जी और श्राबंती चटर्जी मुख्य भूमिकाओं में हैं

भारतीय सिनेमा इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के कालजयी उपन्यास पर आधारित देवी चौधुरानी अब सिल्वर स्क्रीन पर अपनी भव्य उपस्थिति दर्ज कराने के लिए तैयार है। यह फिल्म न केवल अपने विषय, बल्कि अपने निर्माण के ढांचे के कारण भी विशेष है — यह भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच पहला आधिकारिक को-प्रोडक्शन है, जिसे दोनों देशों की सरकारों की मान्यता प्राप्त है। यह ऐतिहासिक कृति दुर्गा पूजा 2025 के अवसर पर, 26 सितंबर को भव्य रूप से रिलीज होगी। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक सुभ्रजीत मित्रा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में बंगाल के दो नामी सितारे प्रसेनजीत चटर्जी और श्राबंती चटर्जी मुख्य भूमिकाओं में हैं। संगीत की जिम्मेदारी विश्वविख्यात तबला वादक पंडित बिक्रम घोष ने संभाली है। इस फिल्म के निर्माण में एडिटेड मोशन पिक्चर्स (भारत/यूएसए) की अपर्णा और अनिरुद्ध दासगुप्ता तथा लोक आर्ट्स कलेक्टिव (भारत/यूके) के सौम्यजीत मजूमदार की भूमिका प्रमुख रही है।

एक वीरांगना की अनकही गाथा

फिल्म की कहानी भारत की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी मानी जाने वाली देवी चौधुरानी की है, जिन्हें 18वीं सदी के बंगाल में हो रहे संन्यासी-फकीर विद्रोह के दौरान भवानी पाठक नामक एक क्रांतिकारी साधु द्वारा प्रशिक्षित किया गया। भवानी पाठक की भूमिका में प्रसेनजीत चटर्जी नजर आएंगे। यह कहानी केवल एक विद्रोह की नहीं, बल्कि साम्राज्य, पितृसत्ता और सामाजिक अन्याय के खिलाफ एक महिला की चेतना और नेतृत्व की गाथा है। निर्माताओं का मानना है कि यह फिल्म एक सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत है, जो बंगाल की लोककथाओं, ऐतिहासिक दस्तावेजों और सामूहिक स्मृति को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाएगी। अपर्णा दासगुप्ता और सौम्यजीत मजूमदार ने इसे “पूर्व की साहसी कहानियों की एक निर्यात योग्य श्रृंखला” की शुरुआत बताया, जो परंपरा में रची-बसी हैं पर अपनी थीम में सार्वभौमिक हैं।

वैश्विक स्तर पर पहचान

फिल्म को WAVES 2025 में भारत के संस्कृति मंत्रालय द्वारा औपचारिक रूप से भारत-यूके की पहली फीचर फिल्म को-प्रोडक्शन के रूप में घोषित किया गया। यह उस इवेंट में प्रदर्शित होने वाली अकेली भारतीय फिल्म थी। फिल्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय, एनएफडीसी, फिल्म सुविधा कार्यालय, इन्वेस्ट इंडिया, ब्रिटिश फिल्म संस्थान (BFI) और यूके के डिपार्टमेंट फॉर कल्चर, मीडिया एंड स्पोर्ट्स (DCMS) का समर्थन प्राप्त है। इसके साथ ही UK के HC Films और Moringa Studio भी इसके सह-निर्माता हैं।

“फिल्म नहीं, एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण”

प्रसेनजीत चटर्जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा— “देवी चौधुरानी मेरे लिए सिर्फ एक भूमिका नहीं, बल्कि उस चेतना का रूप है जो बंगाल की आत्मा में विद्रोह की आग को सहेजे हुए है। यह फिल्म उस महिला की कहानी है जिसने एक पूरे साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाई।” इस दुर्गा पूजा पर जब बंगाल की गलियों में ढाक बजेंगे और देवी के स्वागत में रंग-बिरंगी सजावट होगी, तब देवी चौधुरानी बड़े पर्दे पर एक ऐसे नायकत्व की गूंज बनकर उभरेगी, जो सदियों से दबा हुआ था। यह फिल्म न केवल बंगाल की, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना को फिर से परिभाषित करने जा रही है।

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