• बाढ़ प्रभावितों के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
  • बुधवार तक आंशिक रूप से खुल सकता है हाईवे
  • रामबन में आपदा से अब तक तीन लोगों की मौत

जम्मू । रामबन ज़िले में बादल फटने के बाद तबाही का मंजर जारी है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग का करीब 5 किलोमीटर हिस्सा भारी भूस्खलन की चपेट में आकर पूरी तरह ढह गया है। पिछले तीन दिनों से बंद पड़े इस महत्वपूर्ण हाइवे पर हजारों यात्रियों का सफर बीच रास्ते में थम गया है। कई वाहन मलबे में दबे पाए गए हैं, वहीं सैकड़ों लोग कठिन हालात में रास्ते में फंसे हैं।

राहत की उम्मीद: बुधवार से आंशिक रूप से बहाल हो सकता है रास्ता

केंद्रीय मंत्री और जम्मू-कश्मीर से लोकसभा सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को जानकारी दी कि हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है और अगर मौसम ने साथ दिया तो बुधवार तक हाईवे आंशिक रूप से खोला जा सकता है। उन्होंने बताया कि वे राहत कार्यों की समीक्षा के लिए स्वयं रामबन ज़िले के दौरे पर जाएंगे।

22 जगह से टूटा हाईवे, युद्धस्तर पर चल रही बहाली

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के मुताबिक हाईवे कम से कम 22 स्थानों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है। मलबा हटाने और मार्ग को दोबारा सुचारू बनाने के लिए इंजीनियरों की टीमें लगातार काम कर रही हैं। बाढ़ और भूस्खलन से क्षेत्र में भारी जन-धन हानि हुई है।

जान गंवा चुके 3 लोग, 100 से ज़्यादा को बचाया गया

रविवार को आई इस प्राकृतिक आपदा में तीन लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 100 से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया। प्रभावित इलाकों में राहत शिविर लगाए गए हैं जहाँ फंसे यात्रियों को भोजन और आश्रय दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने मौके पर जाकर लिया जायज़ा

राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को हालात का जायज़ा लेने के लिए काली मोड़ इलाके का दौरा किया, जहां मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद वे राहत अभियानों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए कि किसी भी यात्री को असहाय न छोड़ा जाए और हरसंभव मदद पहुंचाई जाए।

इंसानियत की मिसाल: स्थानीय लोगों ने भी बढ़ाया मदद का हाथ

रामबन के स्थानीय निवासियों ने भी फंसे हुए यात्रियों के लिए खाने-पीने की चीज़ें उपलब्ध कराकर इंसानियत की मिसाल पेश की है। इस कठिन घड़ी में प्रशासन और आम लोग मिलकर राहत कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।