15 लाख दीपों से झिलमिलाई काशी, गंगा आरती और ग्रीन आतिशबाज़ी से गूंजा आसमान
देव दीपावली पर चेत सिंह घाट का ‘काशी-कथा’ थ्रीडी शो बना आकर्षण का केंद्र, नमो घाट पर सीएम योगी ने किया पहला दीप प्रज्ज्वलित
वाराणसी, 5 नवंबर।
काशी नगरी बुधवार की शाम देव दीपावली के अवसर पर एक बार फिर आस्था, भव्यता और भारतीय संस्कृति के रंगों से सरोबर हो उठी। जब गंगा तट के 84 घाटों पर लाखों दीप जल उठे, तो ऐसा प्रतीत हुआ मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।
गोधूलि बेला में उत्तरवाहिनी गंगा की लहरों पर झिलमिलाते दीपों की सुनहरी आभा ने सम्पूर्ण वाराणसी को दिव्य प्रकाश से आलोकित कर दिया।
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सीएम योगी ने नमो घाट पर जलाया पहला दीप
देव दीपावली का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट पर पहला दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उनके साथ पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, राज्य मंत्री रविन्द्र जायसवाल, विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी, महापौर अशोक तिवारी और जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने मां गंगा को नमन करते हुए कहा —
“काशी में देव दीपावली केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि हमारी सनातन संस्कृति की जीवंत अभिव्यक्ति है। यह कार्यक्रम भारत की आत्मा और आस्था का प्रतीक है।”
इसके बाद सीएम योगी ने क्रूज़ पर सवार होकर गंगा तट पर दीपों से सजे घाटों का विहंगम दृश्य देखा और मां गंगा की आरती में भाग लिया।
दशाश्वमेध घाट पर ‘अमर जवान ज्योति’ की प्रतिकृति, शहीदों को नमन
धार्मिकता और राष्ट्रभक्ति के अद्भुत संगम के रूप में दशाश्वमेध घाट पर ‘अमर जवान ज्योति’ की प्रतिकृति स्थापित की गई। इस स्थल पर कारगिल युद्ध के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।
इस बार देव दीपावली को “ऑपरेशन सिंदूर” के नाम समर्पित किया गया, जिसमें देश की वीर माताओं के आँचल को नमन किया गया।
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काशी में जगमगाए 15 लाख दीप, पर्यावरण का भी ध्यान
योगी सरकार ने इस बार 10 लाख दीप जलाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन नागरिक सहभागिता से यह संख्या 15 से 25 लाख दीपों तक पहुँच गई। इनमें से 1 लाख दीप गाय के गोबर से बने पर्यावरण-अनुकूल दीप थे।
सभी घाटों, कुंडों, तालाबों और मंदिरों पर दीपों की श्रृंखला ने काशी को मानो सुनहरी माला में पिरो दिया।
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चेत सिंह घाट पर ‘काशी-कथा’ थ्रीडी शो बना आकर्षण का केंद्र
परंपरा और आधुनिक तकनीक के संगम का नजारा चेत सिंह घाट पर देखने को मिला, जहाँ 25 मिनट का 3D प्रोजेक्शन मैपिंग शो ‘काशी-कथा’ प्रस्तुत किया गया।
इस शो में काशी के आध्यात्मिक और ऐतिहासिक प्रसंगों को जीवंत किया गया —
- भगवान शिव-पार्वती विवाह,
- भगवान विष्णु की चक्र पुष्करिणी,
- भगवान बुद्ध के उपदेश,
- संत कबीर और तुलसीदास की भक्ति परंपरा,
- और महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना।
इस दृश्यावली ने दर्शकों को अतीत की यात्रा पर ले जाकर काशी की आत्मा से परिचित कराया।
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गंगा पार रेत पर ‘ग्रीन क्रैकर्स शो’ से सजा आसमान
गंगा पार रेत पर आयोजित “कोरियोग्राफ और सिंक्रोनाइज ग्रीन क्रैकर्स शो” ने देव दीपावली की शाम को और भी मनमोहक बना दिया।
संगीत की ताल पर चलती रंगीन आतिशबाज़ी ने जब आकाश में फूल खिलाए, तो उनके प्रतिबिंब से गंगा की लहरें भी दमक उठीं।
यह पूरा आयोजन पर्यावरण के अनुकूल ग्रीन क्रैकर्स से किया गया, जिससे प्रदूषण का स्तर शून्य रहा।
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महाआरती में आध्यात्मिकता और राष्ट्रभाव का संगम
दशाश्वमेध घाट की महाआरती इस बार भी आकर्षण का केंद्र रही।
21 अर्चक और 42 देव कन्याओं ने रिद्धि-सिद्धि के रूप में मां गंगा की आरती की।
21 कुंतल फूलों और 51 हजार दीपों से सजे घाट पर जब शंखनाद, घंटा और घड़ियालों की ध्वनि गूंजी, तो वातावरण में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ।
इस अवसर पर देश की वीर माताओं और शहीदों को सम्मानित करते हुए ‘भगीरथ शौर्य सम्मान’ प्रदान किया गया।
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काशी विश्वनाथ धाम में भव्य सजावट और विशेष आरती
देव दीपावली के उपलक्ष्य में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को फूलों, दीपों और रंगीन रोशनी से सजाया गया।
मंदिर परिसर दीपों की उजास से जगमगा उठा। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही।
विशेष पूजा-अर्चना के दौरान मंदिर में “हर हर महादेव” के जयकारों से वातावरण गूंजता रहा।
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सुरक्षा व्यवस्था जल, थल और नभ — तीनों में अभेद्य
श्रद्धालुओं की भीड़ और वीवीआईपी उपस्थिति को देखते हुए वाराणसी को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया गया।
बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध रहा।
एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें बोट्स और वाटर एम्बुलेंस के साथ तैनात रहीं।
नदी मार्ग पर नावों के लिए अलग लेन और दिशा-निर्देश तय किए गए।
महिला सुरक्षा के लिए सादी वर्दी में पुलिसकर्मी, एंटी रोमियो स्क्वाड और क्यूआरटी टीमों को तैनात किया गया।
देव दीपावली – जब आस्था, राष्ट्रप्रेम और संस्कृति एक साथ दमक उठे
देव दीपावली का यह उत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रेम और लोक संस्कृति का भी प्रतीक बन गया।
चेत सिंह घाट के 3D शो से लेकर गंगा पार आतिशबाज़ी तक, हर दृश्य ने यह संदेश दिया कि काशी न केवल भारत की आस्था का केंद्र है, बल्कि उसकी आत्मा भी है।
गंगा की गोद में बसे इस प्राचीन नगर ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि जहाँ दीप जलते हैं, वहाँ आशा और विश्वास की रोशनी कभी मंद नहीं पड़ती।
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