काशी में जगमगाई देव दीपावली, 84 घाटों पर जले 25 लाख दीप; नमो घाट पर सीएम योगी ने जलाया पहला दीप

वाराणसी, 5 नवंबर। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आस्था, अध्यात्म और अद्भुत प्रकाश के संगम का दृश्य आज काशी में देखने को मिला। पूरे शहर में दिव्यता का आलोक फैला हुआ है, क्योंकि 84 घाटों पर करीब 25 लाख दीपों की रौशनी ने गंगा तट को स्वर्गिक आभा से नहला दिया। इस ऐतिहासिक आयोजन की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट पर पहला दीप प्रज्ज्वलित कर की।

देव दीपावली के इस भव्य पर्व को देखने के लिए काशी में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचे हैं। आयोजन को “ऑपरेशन सिंदूर” की थीम पर सजाया गया है, जो वीरता और राष्ट्रगौरव का प्रतीक है।

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25 लाख दीपों से काशी के घाटों पर सजी अद्भुत झिलमिलाहट

पर्यटन विभाग ने इस बार 15 लाख दीपों की व्यवस्था की, जबकि 10 लाख दीपक स्थानीय समितियों और काशीवासियों द्वारा जलाए गए। घाटों पर दीपों की यह श्रृंखला ऐसी प्रतीत हो रही थी मानो गंगा के तट पर स्वयं देवता उतर आए हों
पिछले वर्ष यानी 2024 में 20 लाख दीप जलाए गए थे, जबकि इस वर्ष संख्या 25 लाख पार कर एक नया अध्याय रच दिया गया।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट से दीप प्रज्वलन के बाद गंगा आरती में भाग लिया और क्रूज से पूरे आयोजन का अवलोकन किया। गंगा की लहरों पर तैरती दीपों की सुनहरी परछाईं जब सीएम योगी के जहाज से दिखाई दी, तो वातावरण भक्तिभाव से भर उठा।

दशाश्वमेध घाट पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम, महाआरती में उमड़ा जनसैलाब

काशी की देव दीपावली का सबसे भव्य आयोजन हमेशा की तरह दशाश्वमेध घाट पर हुआ। इस बार की थीम “ऑपरेशन सिंदूर” रखी गई, जो भारतीय सेना की वीरता और बलिदान को समर्पित है।
यहां आयोजित महाआरती में 21 अर्चक और 42 देव कन्याओं ने रिद्धि-सिद्धि रूप में विधिवत आरती की। 21 कुंटल फूलों और 51 हजार दीपों से सजे घाट पर जब शंखनाद और घंटों की ध्वनि गूंजी, तो पूरा वातावरण “हर हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठा।

श्रद्धालुओं के अनुसार, यह दृश्य किसी स्वर्गिक उत्सव से कम नहीं था। घाट के दोनों ओर दीपों की कतारें, फूलों की सजावट और भक्ति संगीत के साथ एक अलौकिक ऊर्जा का संचार हुआ।

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देव दीपावली की कथा – त्रिपुरासुर संहार से जुड़ा देवों का पर्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार, देव दीपावली का यह पर्व भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर राक्षस के वध से जुड़ा है। जब शिव ने देवताओं को असुरों से मुक्त कराया, तब देवताओं ने प्रसन्न होकर गंगा तट पर दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से इस दिन को देव दीपावली कहा जाने लगा — अर्थात वह दीपावली जो देवताओं के लिए मनाई जाती है।

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विदेशी मेहमान भी बने काशी की भव्यता के साक्षी

इस वर्ष देव दीपावली की आभा केवल भारत तक सीमित नहीं रही। 40 से अधिक देशों से आए श्रद्धालु और पर्यटक इस आयोजन में शामिल हुए। जयपुर और कोलकाता से आए 70 श्रद्धालु समान परिधान में गंगा तट पर पहुंचे, जिसने आयोजन में भारतीय एकता की झलक पेश की।

श्रद्धालुओं ने नमो घाट, दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर एक साथ दीप जलाए। लेजर शो और आतिशबाज़ी ने रात को और भी रंगीन बना दिया।

अन्य धार्मिक नगरीयों में भी जगमगाई देव दीपावली

काशी की भव्यता के साथ-साथ प्रयागराज और मथुरा में भी देव दीपावली मनाई जा रही है।

  • प्रयागराज में लगभग 5 लाख दीप,
  • जबकि मथुरा में 2 लाख दीप जलाए गए।

इससे पहले 19 अक्टूबर को अयोध्या में दिवाली मनाई गई थी, जिसमें राम की पैड़ी पर 29 लाख से अधिक दीप जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया गया था।

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भक्ति, संस्कृति और पर्यटन का अनोखा संगम

काशी में इस अवसर पर न केवल धार्मिक उत्सव का माहौल रहा, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन गतिविधियों का भी संगम देखने को मिला। गंगा किनारे पारंपरिक नृत्य, शास्त्रीय संगीत, कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक झांकियों ने आयोजन को भव्यता प्रदान की।
मुख्यमंत्री योगी ने आयोजन की सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा —

“काशी में देव दीपावली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि नए भारत की आस्था और संस्कृति की पहचान है। यह आयोजन दिखाता है कि कैसे परंपरा और आधुनिकता साथ-साथ चल सकती हैं।”

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काशी में उमड़ा श्रद्धा और गौरव का सैलाब

रात ढलते ही जब गंगा के तट पर 25 लाख दीपों की लौ एक साथ टिमटिमाने लगी, तो पूरा शहर ‘हर हर महादेव’ के गूंजते नारों से भर गया। काशीवासियों ने कहा कि यह केवल दीपों का उत्सव नहीं, बल्कि श्रद्धा, सौंदर्य और संकल्प का प्रतीक है।