दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक चले इस मतदान में कुल 57.85% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो पिछली तीन विधानसभा चुनावों की तुलना में सबसे कम रहा।
सबसे ज्यादा और सबसे कम मतदान वाले क्षेत्र
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस बार सबसे अधिक मतदान हुआ, जहां 63.83% वोटिंग दर्ज की गई। वहीं, दक्षिण-पूर्व दिल्ली में सबसे कम 53.77% मतदाता ही मतदान केंद्र तक पहुंचे। खासकर भाजपा सांसद मनोज तिवारी के संसदीय क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत अधिक रहा।
पिछले चुनावों की तुलना में गिरावट
पिछले तीन विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार मतदाताओं की भागीदारी घटी है। 2013 में 65.63%, 2015 में 67.12% और 2020 में 62.59% मतदान हुआ था। इन तीनों चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार बनी थी। इस बार मतदान प्रतिशत घटकर 57.85% रह गया है। हालांकि, अंतिम आंकड़े गुरुवार सुबह जारी किए जाएंगे।
प्रमुख मतदान केंद्र और उम्मीदवार
चुनाव के लिए दिल्लीभर में 13,766 मतदान केंद्र बनाए गए थे। इस बार 699 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। अब 8 फरवरी को मतगणना होगी और यह तय होगा कि दिल्ली की सत्ता किसके हाथों में जाएगी।
मुस्तफाबाद में सबसे ज्यादा, करोल बाग में सबसे कम वोटिंग
मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर सबसे अधिक मतदान दर्ज किया गया, जहां शाम 5 बजे तक 66.68% वोटिंग हुई। दूसरी ओर, करोल बाग विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 47.40% मतदान दर्ज किया गया।
चुनावी माहौल और मतदाताओं की भागीदारी
इस चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी में गिरावट ने राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है। विशेषज्ञों के अनुसार, कम मतदान प्रतिशत के पीछे मतदाताओं की उदासीनता या अन्य कारक हो सकते हैं।
अब सभी राजनीतिक दल और प्रत्याशी 8 फरवरी का इंतजार कर रहे हैं, जब मतगणना के बाद यह तय होगा कि दिल्ली की जनता ने किसे अगले पांच वर्षों के लिए सत्ता की जिम्मेदारी सौंपी है।