July 12, 2025 5:11 PM

दिल्ली दंगे साजिश केस: शरजील इमाम और उमर खालिद की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित

delhi-riots-sharjeel-umar-bail-hearing

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े मामले में आरोपित शरजील इमाम और उमर खालिद की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायमूर्ति नवीन चावला की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला लिया।

सॉलिसिटर जनरल ने जताई आपत्ति, कहा- “देशविरोधी गतिविधियों के आरोपियों के लिए जेल ही सही जगह”

सरकारी पक्ष की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में दलील दी कि ये कोई साधारण अपराध नहीं बल्कि एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के लिए इन दंगों को खास तारीख पर अंजाम दिया गया। उन्होंने शरजील इमाम के उस भाषण का भी हवाला दिया, जिसमें असम का ज़िक्र धर्म के आधार पर किया गया था।

उमर खालिद और अन्य आरोपितों द्वारा फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए मोबाइल सिम कार्ड हासिल करने की बात भी सामने रखी गई। मेहता ने तर्क दिया कि अगर कोई व्यक्ति देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहता है, तो उसके लिए “जेल ही सबसे उपयुक्त स्थान है”।

ट्रायल में देरी के लिए आरोपियों को जिम्मेदार ठहराया

दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि मुकदमे की कार्यवाही में देरी के लिए अभियोजन पक्ष नहीं, बल्कि आरोपी जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने की कार्यवाही चल रही है। शर्मा ने स्पष्ट किया कि केवल लंबी जेल अवधि को जमानत का आधार नहीं बनाया जा सकता, खासकर जब मामला राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़ा हो।

पृष्ठभूमि: 2020 के दिल्ली दंगे

फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी, और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इन दंगों को लेकर कई सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं और छात्रों पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। शरजील इमाम और उमर खालिद इन्हीं आरोपों के तहत लंबे समय से जेल में बंद हैं।

अब अदालत का निर्णय इनकी जमानत को लेकर क्या होगा, यह आने वाले दिनों में सामने आएगा।



Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram