दिल्ली में भविष्य निधि आयुक्त रिश्वत लेते गिरफ्तार | सीबीआई की बड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई हुई है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) दिल्ली (पश्चिम) के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त जगदीश तांबे को 1.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी मंगलवार को एक योजनाबद्ध ट्रैप ऑपरेशन के तहत की गई, जिसमें सीबीआई ने शिकायतकर्ता की मदद से पूरा जाल बिछाया।
शिकायत और रिश्वत मांगने का आरोप
सीबीआई अधिकारियों के अनुसार, यह मामला तब सामने आया जब एक शिकायत दर्ज कराई गई। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त जगदीश तांबे ने उसके खिलाफ लंबित क्षति मुआवजा कार्यवाही (आरडीए) को निपटाने के लिए रिश्वत की मांग की। शिकायत में बताया गया कि तांबे ने सबसे पहले 3 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, ताकि कार्यवाही को शिकायतकर्ता के पक्ष में निपटाया जा सके। लंबी बातचीत के बाद तांबे ने 1.5 लाख रुपये पर समझौता कर लिया।
सीबीआई का जाल और रंगे हाथों गिरफ्तारी
शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने तुरंत मामले की प्राथमिक जांच की और 9 सितंबर को तांबे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद सीबीआई ने ट्रैप ऑपरेशन की योजना बनाई। 10 सितंबर को जब शिकायतकर्ता तय राशि देने पहुंचा, तभी सीबीआई की टीम पहले से मौजूद थी। जैसे ही तांबे ने रिश्वत की रकम स्वीकार की, सीबीआई ने उसे मौके पर ही रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।

भ्रष्टाचार पर सीबीआई की सख्ती
सीबीआई का कहना है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा रिश्वत मांगना गंभीर अपराध है और इस तरह की कार्रवाई से यह संदेश दिया जा रहा है कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि आरोपित से पूछताछ जारी है और उसके खिलाफ सबूत इकट्ठे किए जा रहे हैं। जल्द ही उसे अदालत में पेश किया जाएगा।
प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। भविष्य निधि संगठन जैसे संस्थान, जिनका उद्देश्य कर्मचारियों के अधिकारों और भविष्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होता है, अगर वहीं भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाएं, तो आम नागरिकों का भरोसा टूटना स्वाभाविक है। यह मामला बताता है कि रिश्वतखोरी अब भी प्रशासनिक व्यवस्था की जड़ तक फैली हुई है।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों और श्रमिक संगठनों ने इस घटना पर कड़ा आक्रोश जताया है। उनका कहना है कि भविष्य निधि जैसी अहम योजना में अगर अधिकारी रिश्वत लेकर फैसले करेंगे, तो आम कर्मचारियों को न्याय नहीं मिल पाएगा। लोगों ने मांग की है कि ऐसे अधिकारियों को केवल गिरफ्तार ही न किया जाए, बल्कि उनके खिलाफ सख्त से सख्त सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई अधिकारी भ्रष्टाचार करने की हिम्मत न जुटा सके।
आगे की जांच और संभावित कार्रवाई
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि मामले की गहन जांच चल रही है। यह भी जांच की जाएगी कि क्या इस मामले में और अन्य अधिकारी या कर्मचारी शामिल हैं। यदि कोई और व्यक्ति इस भ्रष्टाचार चक्र का हिस्सा पाया गया तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भ्रष्टाचार मिटाने की चुनौती
भारत में लंबे समय से भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बना हुआ है। हर सरकार और एजेंसी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का दावा करती है, लेकिन जमीन पर तस्वीर अलग होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पारदर्शिता और जवाबदेही की ठोस व्यवस्था नहीं बनाई जाएगी, तब तक ऐसी घटनाएं सामने आती रहेंगी।
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