नई दिल्ली। आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक नीति और ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार अब रक्षा बजट में 50,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वृद्धि करने की तैयारी कर रही है। यह कदम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद की सैन्य प्रतिक्रिया के संदर्भ में लिया जा रहा है, जिससे सेना की सामरिक क्षमता को और अधिक मज़बूती मिलेगी। यह प्रस्ताव आगामी संसद के शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट के माध्यम से पेश किया जाएगा।
अब 7 लाख करोड़ पार करेगा कुल रक्षा बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को पेश किए गए बजट में पहले ही 6.81 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड रक्षा बजट आवंटित किया था, जो 2024-25 के मुकाबले 9.2% अधिक है। अगर इसमें 50,000 करोड़ की और बढ़ोतरी होती है, तो कुल रक्षा बजट 7.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा, जो अब तक का सबसे बड़ा रक्षा आवंटन होगा।
रक्षा बजट में बढ़ोतरी क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, इस वृद्धि का उद्देश्य भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की जरूरतों को समय रहते पूरा करना है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान PoK में आतंकी ठिकानों पर हमलों और लगातार सीमा पार तनाव को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। बजट बढ़ोतरी से हथियार, गोला-बारूद, अत्याधुनिक रक्षा उपकरण और उन्नत निगरानी प्रणालियों की खरीद को बल मिलेगा।
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अनुसंधान और स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर जोर
एक आधिकारिक रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़े हुए बजट का प्रमुख हिस्सा रक्षा अनुसंधान एवं विकास (R\&D) और स्वदेशी रक्षा उत्पादन में लगाया जाएगा। सरकार का मकसद भारत को रक्षा उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है। इससे रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप्स और निजी कंपनियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
मोदी सरकार का फोकस: 2014 से अब तक
2014-15 में जब नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब रक्षा बजट 2.29 लाख करोड़ रुपए था। 2025 में यह बढ़कर 7 लाख करोड़ से अधिक होने की ओर है। यह दर्शाता है कि पिछले एक दशक में सरकार ने सैन्य ताकत और रणनीतिक सुरक्षा को सबसे प्राथमिकता में रखा है। वर्तमान रक्षा बजट केंद्रीय बजट का लगभग 13% है, जो सभी मंत्रालयों में सबसे अधिक है।
पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच अहम निर्णय
भारत की यह बजट नीति ऐसे समय में सामने आ रही है, जब पाकिस्तान के साथ सैन्य और कूटनीतिक तनाव नए स्तर पर पहुंच गया है। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत द्वारा नूर खान एयरबेस पर मिसाइल हमले की बात भी स्वीकार की है। ऐसे में भारत की सैन्य तैयारियों को और मजबूत बनाना रणनीतिक दृष्टि से अनिवार्य माना जा रहा है।
भारत सरकार का यह प्रस्ताव आने वाले वर्षों में भारतीय रक्षा क्षेत्र को अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। बढ़ा हुआ बजट न केवल सैन्य बलों की क्षमता में इजाफा करेगा, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को भी सशक्त बनाएगा।
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