नई दिल्ली, 13 जनवरी 2025। दिसंबर महीने में भारतीय खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) में गिरावट दर्ज की गई है, जो चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर पहुंच गई है। नवंबर महीने में यह दर 5.48 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल दिसंबर में यह दर 5.69 प्रतिशत थी।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस गिरावट का प्रमुख कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी है। दिसंबर में खाद्य महंगाई दर 8.39 प्रतिशत रही, जबकि नवंबर में यह 9.04 प्रतिशत और दिसंबर 2023 में 9.53 प्रतिशत थी। एनएसओ के मुताबिक, दिसंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और खाद्य महंगाई दोनों ही पिछले चार महीनों के सबसे निचले स्तर पर थे, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राहत की खबर है।
खाद्य और पेय पदार्थों की महंगाई में भी कमी
खाद्य और पेय पदार्थों की महंगाई दर दिसंबर में घटकर 7.69 प्रतिशत हो गई, जो नवंबर में 8.2 प्रतिशत थी। इस गिरावट का मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों में कमी है। दिसंबर में सब्जियों की महंगाई 29.33 प्रतिशत से घटकर 26.56 प्रतिशत हो गई।
इन आंकड़ों के बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने खाद्य महंगाई को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। इस कारण RBI ने अपनी महंगाई दर अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया था।
शेयर बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों को 12.39 लाख करोड़ का नुकसान
दूसरी ओर, भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को जबरदस्त गिरावट देखी गई, जिसके कारण निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। कमजोर वैश्विक संकेतों, विदेशी निवेशकों की चौतरफा बिकवाली, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और रुपये की कीमत में गिरावट के कारण घरेलू शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल मची।
कारोबार के अंत में, सेंसेक्स 1001.95 अंक गिरकर 76,376.96 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 345.55 अंक की गिरावट के साथ 23,085.95 के स्तर पर बंद हुआ। इस गिरावट के कारण निवेशकों को करीब 12.39 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस गिरावट का कारण वैश्विक वित्तीय संकट, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, और भारतीय रुपये की कमजोर स्थिति है, जिसने निवेशकों की चिंता को बढ़ा दिया है। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर बिकवाली ने घरेलू बाजार में दबाव बढ़ा दिया।
आगे की स्थिति
विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय बाजारों में आने वाले दिनों में और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, खासकर वैश्विक आर्थिक संकेतों और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीतियों के आधार पर। निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है, और बाजार की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए निवेश करने की आवश्यकता है।