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April 27, 2025 5:15 AM

वक्फ संशोधन विधेयक पर इस्लामिक संस्थानों का कड़ा विरोध: दारुल उलूम देवबंद ने बताया मुसलमानों के साथ धोखा

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सहारनपुर, 5 अप्रैल —वक्फ संशोधन विधेयक के संसद में पारित होने के बाद देश के प्रमुख इस्लामिक शैक्षणिक संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संस्था के मोहतमिम (कुलपति) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने इसे मुस्लिम समुदाय के साथ एक “बड़ा धोखा” बताया और स्पष्ट किया कि वक्फ एक धार्मिक विषय है, जिसमें सरकार का हस्तक्षेप पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

शुक्रवार देर रात पत्रकारों से बातचीत में नोमानी ने कहा, “वक्फ संपत्तियां मुसलमानों की धार्मिक धरोहर हैं और उसमें किसी भी तरह की सरकारी दखलअंदाजी न केवल अनुचित है, बल्कि संविधान की आत्मा के भी खिलाफ है। यह एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत है जो अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को कुचलने का रास्ता बना सकती है।”

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दोनों धड़ों ने जताया विरोध

विधेयक को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दोनों धड़े भी एक सुर में विरोध जता चुके हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने धर्मनिरपेक्ष दलों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि, “यह विधेयक संविधान पर सीधा हमला है। हम इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।”

दूसरे गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भी विधेयक को मुस्लिमों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा, “यह कानून वक्फ संपत्तियों को कब्जाने की साजिश है। लेकिन हम इसे अदालत में चुनौती देंगे और हमें विश्वास है कि न्यायपालिका अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करेगी।”

वक्फ संशोधन विधेयक पर क्या है विवाद

हाल में पारित वक्फ संशोधन विधेयक में केंद्र सरकार को यह अधिकार मिल गया है कि वह वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड की जांच कर सके और जरूरत पड़ने पर वक्फ बोर्डों के निर्णयों में हस्तक्षेप कर सके। इस प्रावधान को मुस्लिम संगठनों ने धार्मिक आज़ादी और स्वायत्तता पर हमले के रूप में देखा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कानून से वक्फ बोर्ड की स्वतंत्र कार्यप्रणाली खतरे में पड़ सकती है और सरकार के पास सीधे हस्तक्षेप करने का अधिकार आ जाएगा, जिससे समुदाय में असंतोष बढ़ सकता है।

न्यायपालिका की ओर उम्मीदें

दारुल उलूम समेत मुस्लिम संगठनों ने एकजुट होकर इस विधेयक को न्यायपालिका में चुनौती देने का निर्णय लिया है। मौलाना महमूद मदनी ने कहा, “हम मानते हैं कि देश की अदालतें अल्पसंख्यकों की उम्मीद की आखिरी किरण हैं और हमें विश्वास है कि न्याय मिलेगा।”

इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम समुदाय में गहरी चिंता का कारण बन गया है और आने वाले दिनों में इसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक विमर्श और भी तेज हो सकता है।

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