चार साल बाद फिर लौटी जम्मू-कश्मीर की ‘दरबार मूव’ परंपरा, सर्दियों में रौनक से भर जाएगा जम्मू
जम्मू।
जम्मू-कश्मीर में लगभग डेढ़ सदी पुरानी ‘दरबार मूव’ की परंपरा चार साल बाद एक बार फिर शुरू हो गई है। इस ऐतिहासिक परंपरा के तहत हर वर्ष सर्दियों में सरकारी दफ्तरों को श्रीनगर से जम्मू स्थानांतरित किया जाता है, ताकि प्रशासन ठंड के महीनों में भी सुचारु रूप से काम कर सके। शुक्रवार शाम सरकारी दफ्तर बंद होने के बाद सचिवालयों से कर्मचारियों और सामान को रवाना करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। अब 3 नवंबर से सभी कार्यालय जम्मू में कार्य करना शुरू करेंगे और अगले छह महीने तक वहीं से शासन-प्रशासन का संचालन होगा।
इस बार कुल 39 विभागों के मुख्यालय पूरी तरह से जम्मू स्थानांतरित किए जा रहे हैं, जबकि 47 विभाग कैंप के रूप में कार्य करेंगे। इन कैंप विभागों में 33 प्रतिशत कर्मचारी या न्यूनतम 10 अधिकारी जम्मू में तैनात रहेंगे। गर्मी शुरू होते ही, यह पूरा प्रशासनिक तंत्र फिर से श्रीनगर लौट आएगा।
कारोबारियों में उत्साह, सर्दियों की रौनक लौटने की उम्मीद
‘दरबार मूव’ की वापसी से जम्मू के व्यापारी, होटल कारोबारी और ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोग बेहद उत्साहित हैं। बाजारों में फिर से रौनक लौटने की उम्मीद है। पुराने सचिवालय के पास होटल चलाने वाले सुरेश कुमार ने बताया कि परंपरा बंद होने के बाद उनके होटल की बुकिंग में भारी गिरावट आई थी। “जब दरबार मूव होता था, तो सभी कमरे महीनों तक भरे रहते थे। सड़कों पर चहल-पहल रहती थी, रेस्तरां व्यस्त रहते थे और हर क्षेत्र में पैसा घूमता था। अब फिर से वही माहौल लौटने जा रहा है,” उन्होंने खुशी जताते हुए कहा।
जम्मू के व्यापारी राजिंदर गुप्ता ने बताया, “दरबार मूव बंद होने के बाद हमारा कारोबार ठप पड़ गया था। अब जब यह परंपरा दोबारा शुरू हुई है, तो उम्मीद है कि जम्मू की सर्दियों में बाजारों में फिर से जान आ जाएगी। यह हमारे लिए एक वरदान साबित होगा।”
अनंतनाग के टैक्सी चालक मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि ‘दरबार मूव’ केवल सरकारी कामकाज का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह जम्मू और कश्मीर के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “जब कश्मीर के लोग सर्दियां जम्मू में बिताते हैं, तो कारोबार, रिश्ते और समझ बढ़ती है। यह एक परंपरा से कहीं ज्यादा एकता की भावना है।”
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लोगों में पुरानी यादें फिर से ताज़ा हुईं
कश्मीर में भी इस परंपरा की वापसी को लेकर लोगों में उत्साह है। श्रीनगर के एक सरकारी कर्मचारी फैजान अहमद ने कहा, “दरबार मूव सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं थी, यह दोनों क्षेत्रों के बीच एक भावनात्मक पुल था। जब यह रुका, तो लोगों को लगा कि वह जुड़ाव भी खत्म हो गया। अब ऐसा लग रहा है कि वह संबंध फिर से बन गया है।”
दो दिन रहेगा ट्रैफिक नियंत्रण
दरबार मूव की प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए ट्रैफिक पुलिस ने विशेष योजना बनाई है। 1 और 2 नवंबर को जम्मू से श्रीनगर की ओर भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद रहेगी। इन दो दिनों में केवल छोटे वाहन ही दोनों ओर से चल सकेंगे। वहीं श्रीनगर से जम्मू जाने वाले सरकारी रिकॉर्ड और कर्मचारियों के वाहनों को नियंत्रित तरीके से जाने की अनुमति दी जाएगी, ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
क्या है ‘दरबार मूव’ की परंपरा
जम्मू-कश्मीर में ‘दरबार मूव’ की शुरुआत 1872 में डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह ने की थी। उस समय घाटी की सर्दियां बेहद कठोर होती थीं और बर्फबारी के कारण श्रीनगर में शासन चलाना मुश्किल हो जाता था। इसलिए शासन और प्रशासन को सर्दियों में श्रीनगर से जम्मू और गर्मियों में वापस जम्मू से श्रीनगर ले जाया जाने लगा।
इस परंपरा के तहत हर साल हजारों सरकारी कर्मचारी, दफ्तरों की फाइलें, कंप्यूटर और अन्य जरूरी सामान लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सैकड़ों ट्रकों में स्थानांतरित किए जाते थे। यह केवल राजधानी बदलने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि जम्मू और कश्मीर के बीच सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गई थी।
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चार साल पहले रोकी गई थी परंपरा, अब सीएम ने फिर शुरू की
साल 2021 में तत्कालीन उपराज्यपाल ने ‘दरबार मूव’ की परंपरा को बंद करने का फैसला लिया था। उस समय कहा गया था कि इससे सरकारी खर्च बहुत बढ़ जाता है और कामकाज प्रभावित होता है। लेकिन अब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निर्णय से यह परंपरा फिर से बहाल हो गई है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इस बार करीब 6 लाख कश्मीरी परिवार और कर्मचारी सर्दियां जम्मू में बिताएंगे। इससे न केवल सरकारी कार्यप्रणाली सुचारु होगी, बल्कि जम्मू की सर्दियों की अर्थव्यवस्था में भी नई जान आएगी।
व्यापारियों के अनुसार, दरबार मूव के दोबारा शुरू होने से होटल, टैक्सी, रेस्तरां, परिवहन और खुदरा बाजारों में कमाई के अच्छे अवसर बनेंगे। इस निर्णय से जम्मू की सर्दियों की “धड़कन” फिर से लौट आई है।
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