- रिसर्च में पाया गया है कि मनुष्यों की गर्मी सहने की क्षमता घटती जा रही
नई दिल्ली। दुनियाभर में तापमान तेजी से बढ़ रहा है और इसके खतरनाक प्रभावों को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है। रिसर्च में पाया गया है कि मनुष्यों की गर्मी सहने की क्षमता घटती जा रही है। आने वाले वर्षों में अधिक तीव्र हीटवेव और लू का सामना करना पड़ सकता है, जिससे लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।
ओटावा विश्वविद्यालय की रिसर्च में बड़ा खुलासा
कनाडा के ओटावा विश्वविद्यालय में किए गए एक प्रयोग में 12 स्वयंसेवकों को अत्यधिक गर्मी और नमी के संपर्क में रखा गया। इस दौरान उन्हें 57% ह्यूमिडिटी के साथ 42 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा गया, जो 62 डिग्री सेल्सियस के ह्यूमिडेक्स या ‘वास्तविक तापमान अनुभव’ को दर्शाता है।
गर्मी सहन करने की सीमा क्या है?
रिसर्च में पाया गया कि हीट स्ट्रोक (40.2 डिग्री सेल्सियस शरीर का तापमान) केवल 10 घंटे के भीतर हो सकता है। अत्यधिक गर्मी और नमी के कारण शरीर अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता, जिससे जानलेवा स्थितियां बन सकती हैं।
गर्मी से जुड़े खतरों की भविष्यवाणी
रिसर्च के सह-प्रमुख और फिजियोलॉजी के प्रोफेसर ग्लेन केनी ने कहा कि जलवायु मॉडल और फिजियोलॉजिकल डेटा को जोड़कर गर्मी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं की भविष्यवाणी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि दुनिया के कई हिस्सों में गर्मी की सहनशील सीमा पार हो सकती है, जिससे युवाओं और बुजुर्गों को खासतौर पर ज्यादा खतरा होगा।
दक्षिण एशिया सबसे ज्यादा प्रभावित होगा
किंग्स कॉलेज, लंदन के एक अध्ययन में पाया गया कि दक्षिण एशिया दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक होगा। “नेचर रिव्यूज अर्थ एंड एनवायरनमेंट” में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की लगभग 6% भूमि पर ऐसा तापमान दर्ज किया जाएगा जो युवा वयस्कों के लिए भी सहनीय नहीं होगा।
कैसे बचा जा सकता है?
- गर्मी के मौसम में हाइड्रेटेड रहें और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
- सीधी धूप से बचें और दोपहर के समय बाहर निकलने से परहेज करें।
- शहरों को गर्मी के अनुकूल बनाने के लिए सरकारों को नीतियां बनानी होंगी।
- पेड़-पौधों और जल स्रोतों को संरक्षित करना बेहद जरूरी है।
जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती गर्मी भविष्य में मानव स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। ऐसे में जरूरी है कि लोग और सरकारें मिलकर सतत समाधान पर काम करें।