July 4, 2025 11:32 PM

धर्मशाला में धूमधाम से मनाया गया दलाई लामा का 90वां जन्मदिवस, पुनर्जन्म पर हो सकती है ऐतिहासिक घोषणा

dalai-lama-90th-birthday-dharamshala-rebirth-announcement-expected

तिब्बती परंपराओं, विदेशी श्रद्धालुओं और भिक्षुओं की उपस्थिति में हुआ भव्य आयोजन

धर्मशाला में दलाई लामा का 90वां जन्मदिवस, पुनर्जन्म पर 2 जुलाई को हो सकती है घोषणा

धर्मशाला/कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित मैकलोडगंज में सोमवार को 14वें दलाई लामा का 90वां जन्मदिवस बेहद श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। तिब्बती चंद्र पंचांग के अनुसार यह आयोजन पांचवें महीने के पांचवें दिन रखा गया था, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को हुआ था।

डोमी प्रांत के लोगों ने किया आयोजन, गोल्फ कार्ट से पहुंचे दलाई लामा
इस खास मौके पर कार्यक्रम का आयोजन उनके जन्मस्थान डोमी प्रांत के लोगों द्वारा किया गया। दलाई लामा स्वयं गोल्फ कार्ट से मंदिर परिसर पहुंचे, जहां पहले से ही हजारों श्रद्धालु उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। उनके पहुंचते ही पूरा परिसर “लॉन्ग लिव दलाई लामा” के जयघोष से गूंज उठा।

तिब्बती गीत-संगीत की प्रस्तुति और दीर्घायु की प्रार्थनाएं
समारोह में तिब्बती कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य और गीत प्रस्तुत कर समा बांधा। मंदिर को रंग-बिरंगे तिब्बती झंडों और फूलों से सजाया गया था। दलाई लामा की दीर्घायु के लिए विशेष प्रार्थनाएं की गईं। इस कार्यक्रम में स्थानीय निवासी, तिब्बती समुदाय, भिक्षु-भिक्षुणियां और बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु शामिल हुए।

तिब्बती आंदोलन पर चर्चा, आने वाले सप्ताह में कार्यक्रमों की श्रृंखला
इस अवसर पर तिब्बती स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कार्यकर्ताओं ने तिब्बत की वर्तमान स्थिति और आंदोलन पर चर्चा की। यह केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि तिब्बती अस्मिता और पहचान का प्रतीक भी था। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) आगामी सप्ताह भर इस उत्सव के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगा।

2 जुलाई को पुनर्जन्म पर हो सकती है बड़ी घोषणा
इस वर्ष के समारोह को और भी खास बनाने वाली बात यह है कि दलाई लामा 2 जुलाई को “पुनर्जन्म” को लेकर एक ऐतिहासिक घोषणा कर सकते हैं। यह जानकारी सीटीए अध्यक्ष सिक्योंग पेंपा त्सेरिंग ने दी है। बताया गया है कि 2 से 4 जुलाई के बीच दलाई लामा धर्मशाला स्थित सीटीए मुख्यालय में तिब्बत की चार प्रमुख बौद्ध परंपराओं — साक्य, काग्यू, निंग्मा और गेलुग — के वरिष्ठ धर्मगुरुओं के साथ गहन चर्चा करेंगे।

चीन की आपत्ति, लेकिन दलाई लामा अडिग
यह विषय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद संवेदनशील है, क्योंकि चीन लंबे समय से दलाई लामा के उत्तराधिकारी की प्रक्रिया पर नियंत्रण की कोशिश करता रहा है। हालांकि दलाई लामा स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका पुनर्जन्म किसी स्वतंत्र देश में होगा और अगला अवतार पुरुष भी हो सकता है या महिला भी।

दलाई लामा: शांति और करुणा के प्रतीक
दलाई लामा वर्ष 1959 में चीन द्वारा तिब्बत पर किए गए कब्जे के बाद भारत आए और तब से धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं। उन्होंने 2011 में राजनीतिक जिम्मेदारियां छोड़ दी थीं और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई केंद्रीय तिब्बती प्रशासन को शासन सौंपा था। आज वे पूरी दुनिया में शांति, करुणा और अहिंसा के संदेशवाहक माने जाते हैं।

2 जुलाई को अगर वे पुनर्जन्म को लेकर कोई औपचारिक घोषणा करते हैं, तो यह तिब्बती इतिहास और विश्व बौद्ध समुदाय के लिए एक नया अध्याय साबित हो सकता है। ऐसे में दुनियाभर की निगाहें इस समय धर्मशाला पर टिकी हुई हैं।


Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram