- आंध्र से बंगाल तक चक्रवात मोंथा का असर, कई राज्यों में जनजीवन अस्त-व्यस्त; सरकारें राहत और बचाव कार्य में जुटीं
नई दिल्ली। चक्रवात ‘मोंथा’ (जिसका अर्थ है ‘खुशबूदार फूल’) ने भारत के पूर्वी तटीय इलाकों में भारी तबाही मचाई है। मंगलवार देर रात आंध्र प्रदेश के तट से टकराने के बाद भले ही यह कमजोर पड़ गया हो, लेकिन इससे पहले भारी बारिश, तेज हवाओं और समुद्री लहरों ने कई जिलों में तबाही मचा दी। अब तक आंध्र प्रदेश में दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि डेढ़ लाख एकड़ से अधिक फसलें बर्बाद हो गई हैं। चक्रवात का असर तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी गहराई तक देखने को मिल रहा है। कई इलाकों में पेड़ गिरने, बिजली बाधित होने, सड़कों पर पानी भरने और परिवहन सेवाओं के ठप पड़ने जैसी घटनाएँ सामने आई हैं।
आंध्र प्रदेश में तबाही, लाखों लोग हुए प्रभावित
मंगलवार रात मछलीपट्टनम तट से टकराने के बाद चक्रवात ने पश्चिम गोदावरी और कोनासीमा जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और हालात की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि समय रहते सतर्कता बरतने से जनहानि कम हुई, अन्यथा नुकसान और बड़ा हो सकता था। सरकार ने बताया कि अब तक 1.8 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। कोनासीमा जिले में राहत शिविरों में हजारों लोगों को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने राहत शिविरों में प्रभावित परिवारों को 25 किलो चावल, आवश्यक वस्तुएं और 3,000 रुपये नकद सहायता प्रदान की। राज्य के राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें निरंतर बचाव और पुनर्वास कार्यों में जुटी हैं।
तेलंगाना में बारिश का प्रकोप, छह जिलों में रेड अलर्ट
मोंथा के प्रभाव से तेलंगाना में बुधवार को लगातार भारी बारिश हुई। वारंगल, हनुमाकोंडा, महबूबाबाद, जनगांव, सिद्दीपेट और यदाद्री भुवनगिरी जिलों में मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है। राज्य के कई जिलों में 40 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं। नलगोंडा, करीमनगर, सूर्यापेट, खम्मम और भद्रादि कोठागुडेम जिले भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। नलगोंडा जिले में एक आवासीय विद्यालय में 500 बच्चे और 26 शिक्षक फंस गए थे। राहत टीमों ने रातभर के अभियान के बाद सभी को सुरक्षित निकाल लिया। वहीं महबूबाबाद जिले में रेलवे यार्ड में पानी भरने से कई ट्रेनें रद्द और मार्ग परिवर्तित करनी पड़ीं।
बंगाल में बारिश का अलर्ट, तटीय जिलों में सतर्कता बढ़ाई गई
चक्रवात के कमजोर पड़ने के बावजूद पश्चिम बंगाल में भारी बारिश का खतरा बना हुआ है। मौसम विभाग ने गुरुवार और शुक्रवार तक दक्षिण बंगाल के कई जिलों में मूसलाधार बारिश की चेतावनी दी है। सबसे ज्यादा प्रभाव दक्षिण 24 परगना, पूरबा और पश्चिम मेदनीपुर, झारग्राम, बीरभूम, मुर्शिदाबाद, पूरबा बर्धमान और पुरुलिया जिलों में देखने को मिल सकता है। कोलकाता और आसपास के इलाकों में भी तेज बारिश और हवाओं की संभावना जताई गई है। प्रशासन ने निचले इलाकों में निकासी दल और फायर सर्विस टीमों को तैनात किया है।
ओडिशा में समुद्री तूफान का असर, गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित किया गया
ओडिशा में भी मोंथा तूफान का व्यापक असर दिखा। बुधवार को गंजम और गजपति जिलों में 80 से 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। राज्य के 25 स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की गई। सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने 2,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसूति गृहों में भर्ती कराया है, ताकि वे सुरक्षित रहें। मौसम विभाग की निदेशक मनोरमा मोहंती ने बताया कि गजपति जिले में 150.5 मिमी तक बारिश दर्ज की गई, जो इस मौसम का सबसे अधिक आंकड़ा है। एनडीआरएफ और ओडिशा आपदा प्रबंधन बल (ODRAF) की टीमें तटीय इलाकों में गिरते पेड़, जलभराव और विद्युत आपूर्ति की मरम्मत कार्य में जुटी हुई हैं।
“मोंथा” का असर अब भी जारी
हालांकि मोंथा अब कमजोर पड़ चुका है, लेकिन इसका असर पूर्वी और दक्षिणी भारत के कई हिस्सों में अब भी देखा जा रहा है। मौसम विभाग ने कहा कि अगले दो दिनों तक आंध्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश जारी रह सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बार-बार असामान्य चक्रवातीय गतिविधियाँ जलवायु परिवर्तन की गंभीर स्थिति का संकेत दे रही हैं। सरकार ने सभी राज्यों को सतर्क रहने और जनहानि रोकने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं।





