चक्रवात मोंथा ने मचाई तबाही: आंध्र प्रदेश में दो की मौत, कई जिलों में भारी नुकसान
आंध्र प्रदेश में सोमवार रात से शुरू हुआ भीषण चक्रवात ‘मोंथा’ अब तबाही का पर्याय बन चुका है। मछलीपट्टनम तट से टकराने के बाद इस चक्रवात ने राज्य के कई तटीय जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। तेज हवाओं, भारी बारिश और समुद्री लहरों के कहर से सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त हो गए, बिजली व्यवस्था ठप हो गई और सड़क मार्गों पर यातायात रुक गया। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने स्वयं हेलीकॉप्टर से प्रभावित इलाकों का दौरा कर राहत कार्यों की निगरानी की और अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।

चक्रवात का तांडव: पांच घंटे तक चला लैंडफॉल
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, मंगलवार शाम करीब 7.30 बजे से लेकर रात 1 बजे तक लगभग 5.30 घंटे तक लैंडफॉल की प्रक्रिया जारी रही। इस दौरान हवा की रफ्तार 90 से 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई। समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठीं और किनारे बसे गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए। मछलीपट्टनम, बापटला, एलुरु, कृष्णा और कोनासीमा जिलों में तूफान ने सबसे अधिक कहर बरपाया।
कई जगहों पर बिजली के खंभे और पेड़ गिरने से बिजली आपूर्ति ठप हो गई। कोनासीमा जिले में एक घर पर पेड़ गिरने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई, जबकि दो अन्य लोग घायल हुए। राज्य भर में अब तक दो लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
तेलंगाना और ओडिशा में भी असर
चक्रवात मोंथा के आंध्र से टकराने के बाद इसका असर तेलंगाना तक पहुंच गया। महबूबाबाद जिले के डोरनकल रेलवे स्टेशन पर पानी भर जाने से रेल यातायात प्रभावित हुआ और गोलकुंडा एक्सप्रेस तथा कोणार्क एक्सप्रेस को रोकना पड़ा। वहीं खम्मम जिले में एक लॉरी तेज बहाव में बह गई।
दूसरी ओर, ओडिशा के गंजम में सुबह से तेज हवाएं चल रही हैं और समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं। हवा की रफ्तार 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक दर्ज की गई। ओडिशा सरकार ने गंजम, गजपति, रायगढ़ा, कोरापुट, कालाहांडी और नबरंगपुर समेत 8 जिलों में अलर्ट जारी किया है। करीब 11 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है और 30 हजार लोगों को स्थानांतरित करने की तैयारी चल रही है।
मुख्यमंत्री नायडू की सक्रियता: राहत कार्यों की कमान खुद संभाली
मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार सुबह सचिवालय से सभी जिला कलेक्टरों, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की। उन्होंने निर्देश दिया कि प्रभावित जिलों में राहत और पुनर्वास कार्यों को शीघ्रतम प्राथमिकता दी जाए।
उन्होंने कहा, “चक्रवात को रोका नहीं जा सकता, लेकिन समय रहते उठाए गए एहतियाती कदमों की वजह से हमने बड़े नुकसान को टाला है। सभी विभागों ने एक टीम की तरह काम किया, जिसके कारण स्थिति नियंत्रण में रही।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि क्षतिग्रस्त बिजली व्यवस्था को बहाल करने के लिए दस हजार कर्मियों को मैदान में उतारा गया है। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ, पुलिस और दमकल कर्मियों ने सराहनीय कार्य किया है।
पुनर्वास केंद्रों में आर्थिक मदद की घोषणा
राज्य सरकार ने चक्रवात पीड़ितों की तात्कालिक सहायता के लिए आर्थिक मदद की घोषणा की है। पुनर्वास केंद्रों में शरण लिए प्रत्येक व्यक्ति को 1000 रुपये और परिवार के अनुसार अधिकतम 3000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। यह राशि घर लौटने से पहले पीड़ितों को प्रदान की जाएगी। आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष मुख्य सचिव साई प्रसाद ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।
हेलीकॉप्टर से हवाई निरीक्षण
चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार दोपहर बाद हेलीकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने बापटला, पालनाडु, कृष्णा, एलुरु और डॉ. बीआर अंबेडकर कोनासीमा जिलों के बाढ़ग्रस्त इलाकों की स्थिति का जायजा लिया। नायडू ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन सड़कों और पुलों पर यातायात बंद है, उन्हें जल्द बहाल किया जाए और बाढ़ग्रस्त गांवों तक भोजन, पानी व दवाइयां तुरंत पहुंचाई जाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि आपदा से संबंधित विस्तृत नुकसान रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी, ताकि आर्थिक सहायता प्राप्त की जा सके।
प्रभावित जिलों में बचाव दल की तैनाती
राज्य में ODRF की 30 टीम और NDRF की 5 टीमें तैनात की गई हैं। ये टीमें जलभराव वाले क्षेत्रों में लोगों को निकालने और आवश्यक आपूर्ति पहुंचाने का काम कर रही हैं। भारी बारिश और हवा के कारण संचार नेटवर्क भी कई जगह ठप है, जिसे बहाल करने का काम जारी है।

जनता से अपील
मुख्यमंत्री नायडू ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। उन्होंने कहा कि सरकार की सभी एजेंसियां स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं और जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल कर दी जाएगी।
तेज हवाओं, लगातार हो रही बारिश और बिजली कटौती के बीच स्थानीय लोग अभी भी भयभीत हैं। कई परिवार स्कूलों और सरकारी भवनों में शरण लिए हुए हैं। राहत सामग्री और सहायता पहुंचाने के लिए सेना और वायुसेना को भी सतर्क रखा गया है।
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