- दोषियों पर प्रति पेड़ 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के फैसले को बरकरार रखा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई किसी इंसान की हत्या से भी बदतर अपराध है। कोर्ट ने आगरा के ताजमहल के आसपास अवैध रूप से काटे गए पेड़ों पर सख्त रुख अपनाते हुए दोषियों पर प्रति पेड़ 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के फैसले को बरकरार रखा।
कानून तोड़ने वालों पर सख्ती जरूरी
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह स्पष्ट कर दिया कि कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति पेड़ नहीं काट सकता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की वह अपील खारिज कर दी, जिसमें उसने पेड़ काटने पर लगाए गए जुर्माने को कम करने और कार्रवाई न करने की मांग की थी।
454 पेड़ काटे, 4.54 करोड़ रुपये का जुर्माना
न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जिसमें यह सामने आया कि पिछले साल ताजमहल के आसपास 454 पेड़ अवैध रूप से काटे गए थे। कोर्ट ने इसके लिए प्रति पेड़ 1 लाख रुपये का जुर्माना तय किया, जो कुल 4.54 करोड़ रुपये बनता है।
कोर्ट ने दी सख्त चेतावनी
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अपने मुवक्किल शिव शंकर अग्रवाल के पक्ष में दलील दी कि उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली है और माफी मांगी है। साथ ही, उन्होंने जुर्माना कम करने का आग्रह किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को ठुकराते हुए साफ कर दिया कि पर्यावरण से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है। कोर्ट ने यह जरूर माना कि अग्रवाल को पास के किसी अन्य स्थान पर पौधरोपण करने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन जुर्माने में कोई छूट नहीं दी जाएगी।