मध्यप्रदेश में महिला अपराधों में 6 से 38 फीसदी की गिरावट | सुशासन और नवाचार से घटा अपराधों का ग्राफ
भोपाल। मध्यप्रदेश में महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर किए गए नवाचारों का असर अब साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में महिला अपराधों में 6 से 38 फीसदी तक की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। भोपाल पुलिस द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों से यह साबित होता है कि सुशासन, जनजागरूकता और नवाचारों के जरिए अपराधों पर नियंत्रण संभव है।
हालांकि, ये आंकड़े वर्ष समाप्त होने से तीन माह पूर्व के हैं, इसलिए रिपोर्ट केवल जनवरी से सितंबर 2025 तक की स्थिति को दर्शाती है। इसके बावजूद, यह प्रवृत्ति इस बात का संकेत देती है कि राज्य में महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस के प्रयास सार्थक सिद्ध हो रहे हैं।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए नवाचारों ने बदली तस्वीर
भोपाल पुलिस कमिश्नरेट द्वारा पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की सुरक्षा और जागरूकता के क्षेत्र में कई नवाचार किए गए। “सृजन कार्यक्रम” के माध्यम से झुग्गी-बस्तियों की बालिकाओं को आत्मरक्षा, साइबर सुरक्षा और महिला अधिकारों की जानकारी दी गई। अब तक 3,000 से अधिक बालिकाओं को इन विषयों पर प्रशिक्षित और जागरूक किया जा चुका है।
इसके अलावा, महिला ऊर्जा हेल्प डेस्क की स्थापना ने पीड़ित महिलाओं को शिकायत दर्ज कराने के लिए एक सुरक्षित और सहयोगी वातावरण उपलब्ध कराया। इसके परिणामस्वरूप कई महिलाओं ने साहस के साथ असामाजिक तत्वों और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
पुलिस ने “शक्ति समिति” के माध्यम से भी एक नई पहल की, जिसमें विभिन्न बस्तियों की जागरूक महिलाओं को पुलिस से जोड़ा गया। ये महिलाएं अपने क्षेत्रों में पीड़ित बालिकाओं और महिलाओं की तत्काल सहायता करती हैं। इस साझेदारी ने न केवल पुलिस की पहुंच बढ़ाई बल्कि समाज में सुरक्षा की भावना को भी सशक्त किया।
आंकड़ों में सुधार की तस्वीर
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में महिला अपहरण, शीलभंग, गाली-गलौज, मारपीट और धमकी जैसे अपराधों के कुल 1,637 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं 2025 के नौ महीनों में यह संख्या घटकर 1,211 पर आ गई, यानी लगभग 2 करोड़ से अधिक मामलों की कमी दर्ज की गई।
विस्तृत आंकड़े इस प्रकार हैं:
- महिला अपहरण के मामले: 2024 में 369, जबकि 2025 में 347 (6% कमी)
- शीलभंग के मामले: 2024 में 277, जबकि 2025 में 252 (10% कमी)
- गाली-गलौज, मारपीट, धमकी: 2024 में 991, जबकि 2025 में 612 (38.2% गिरावट)
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसक और असामाजिक गतिविधियों में लगातार कमी आ रही है।
पुलिस अभियानों से गंभीर अपराधों में भी कमी
भोपाल पुलिस कमिश्नरेट ने अपराधियों पर नकेल कसने के लिए पिछले वर्षभर में कई विशेष अभियान चलाए। गुण्डे-बदमाशों, असामाजिक तत्वों और अवैध गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की गई।
2024 की तुलना में 2025 में बलवा (सामूहिक झगड़ा) के मामलों में 90.2% की कमी आई। पिछले वर्ष ऐसे 17 मामले दर्ज हुए थे, जबकि इस वर्ष केवल 2 मामले ही सामने आए।
इसी तरह, अवैध हथियार, नशीले पदार्थ, जुआ-सट्टा और शराब से जुड़े मामलों पर भी विशेष निगरानी रखी गई। इन कार्रवाइयों ने अपराधियों में भय का माहौल बनाया और गंभीर अपराधों पर नियंत्रण पाया गया।

चोरी और नकबजनी के मामलों में भी कमी
मध्यप्रदेश पुलिस की सख्ती का असर चोरी और नकबजनी जैसे आर्थिक अपराधों पर भी पड़ा है।
- नकबजनी: 2024 में 429, जबकि 2025 में 335 (21.09% कमी)
- साधारण चोरी: 2024 में 481, जबकि 2025 में 341 (29.01% कमी)
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि पुलिस ने न केवल गंभीर अपराधों बल्कि छोटे आर्थिक अपराधों पर भी प्रभावी अंकुश लगाया है।
प्रतिबंधात्मक कार्रवाइयों में बढ़ोतरी
जहां अपराधों में कमी आई है, वहीं पुलिस की रोकथाम संबंधी कार्रवाइयों में वृद्धि दर्ज की गई है। यह दर्शाता है कि पुलिस अपराध होने से पहले ही सक्रिय रूप से हस्तक्षेप कर रही है।
- धारा 110, 129: 2024 में 1081 से बढ़कर 2025 में 1390 (28.06% वृद्धि)
- धारा 151, 170: 1701 से बढ़कर 2097 (23.03% वृद्धि)
- धारा 107/116 व 135: 9410 से बढ़कर 12060 (28.02% वृद्धि)
- जिलाबदर कार्रवाई: 107 से बढ़कर 125 (16.82% वृद्धि)
इन बढ़ोतरी के आंकड़े दर्शाते हैं कि पुलिस अपराधियों के खिलाफ अग्रिम और रोकथाम संबंधी कदम तेजी से उठा रही है।
अवैध शराब और मादक पदार्थों पर सख्ती
मप्र पुलिस ने अवैध शराब और नशे के कारोबार पर भी नकेल कसी है।
- आबकारी एक्ट: 1687 से बढ़कर 2556 (52% वृद्धि)
- एनडीपीएस एक्ट: 62 से बढ़कर 82 (32% वृद्धि)
- 34 पुलिस एक्ट: 1051 से बढ़कर 2723 (159% वृद्धि)
इन कार्रवाइयों से यह संकेत मिलता है कि राज्य सरकार का “नशामुक्त मध्यप्रदेश” अभियान अब धरातल पर असर दिखा रहा है।
जनजागरूकता और सुशासन से बनी सुरक्षित तस्वीर
मध्यप्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस की लगातार मुहिम, जनसहभागिता और नवाचारों ने अपराध नियंत्रण में निर्णायक भूमिका निभाई है। पुलिस ने तकनीक, कानून और जनसहयोग के संयोजन से अपराधों पर प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित की है।
राज्य में महिला सुरक्षा के क्षेत्र में इस सकारात्मक बदलाव ने प्रशासन और समाज दोनों को यह विश्वास दिलाया है कि जब सुशासन, नवाचार और जनसहभागिता साथ हों, तो अपराधों की रोकथाम संभव है।
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