October 15, 2025 9:05 AM

तमिलनाडु में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप पर प्रतिबंध, राजस्थान में ड्रग कंट्रोलर सस्पेंड; बच्चों की मौतों के बाद सख्त हुई सरकारें

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  • राजस्थान में 12 बच्चों की संदिग्ध मौतों के बाद देशभर में दवा नियंत्रण तंत्र सक्रिय हो गया

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश और राजस्थान में 12 बच्चों की संदिग्ध मौतों के बाद देशभर में दवा नियंत्रण तंत्र सक्रिय हो गया है। बच्चों की मौतों से जुड़ी जांच में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप का नाम सामने आने के बाद तमिलनाडु सरकार ने इस दवा की बिक्री, वितरण और निर्माण पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, राजस्थान सरकार ने राज्य औषधि नियंत्रक (ड्रग कंट्रोलर) को निलंबित कर दिया है और जयपुर स्थित केसन्स फार्मा की सभी दवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

तमिलनाडु सरकार का बड़ा कदम : ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप की बिक्री और निर्माण बंद

तमिलनाडु के स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को आदेश जारी कर कहा कि राज्य में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप की बिक्री और उत्पादन पर 1 अक्टूबर से पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया है।
खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग ने चेन्नई और कांचीपुरम जिले में स्थित उत्पादन इकाई की जांच की, जहां से इस सिरप का निर्माण किया जाता है। जांच टीम ने कई सैंपल जब्त किए और उन्हें सरकारी प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजा है।

सरकार ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट आने तक कंपनी को सिरप उत्पादन पर रोक लगा दी गई है।
कांचीपुरम के सुंगुवरछत्रम स्थित संयंत्र से यह कफ सिरप मध्य प्रदेश, राजस्थान और पुडुचेरी समेत कई राज्यों में आपूर्ति किया जा रहा था।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में दर्जनों बच्चों की मौतों के बाद यह कार्रवाई तत्काल की गई।

राजस्थान में ड्रग कंट्रोलर सस्पेंड, केसन्स फार्मा पर रोक

मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान सरकार ने औषधि नियंत्रक अधिकारी को निलंबित कर दिया है।
जयपुर स्थित केसन्स फार्मा नामक दवा कंपनी द्वारा निर्मित दवाओं की बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी गई है।
राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने केसन्स फार्मा द्वारा तैयार की जा रही सभी 19 दवाओं की आपूर्ति पर अगले आदेश तक प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है।

साथ ही, जिन सिरपों में ‘डेक्सट्रोमेथॉर्फन’ रासायनिक तत्व पाया जाता है, उन सभी के वितरण और बिक्री को भी राज्यव्यापी स्तर पर निलंबित कर दिया गया है। यह रासायनिक तत्व आमतौर पर बच्चों की खांसी और सर्दी की दवाओं में उपयोग किया जाता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा या दूषित स्वरूप स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है।

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को जारी किए दिशा-निर्देश

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
निर्देश में कहा गया है कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी या सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि डॉक्टर विशेष रूप से ऐसा न कहें।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने राज्यों से कहा है कि दवा निर्माताओं की गुणवत्ता जांच को और सख्त किया जाए तथा बाजार में उपलब्ध कफ सिरप के नमूनों की नियमित जांच की जाए।

‘कोल्ड्रिफ’ सिरप में मिलाए गए केमिकल पर संदेह

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पिछले महीने सात बच्चों की रहस्यमयी मौत के बाद जांच टीम ने पाया था कि सभी बच्चों ने एक ही ब्रांड का कफ सिरप सेवन किया था।
कांग्रेस नेता कमलनाथ ने आरोप लगाया कि ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप में ‘ब्रेक ऑयल सॉल्वेंट’ (Brake Oil Solvent) मिलाया गया था, जिससे बच्चों की किडनी फेल्योर और विषाक्तता हुई।

वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि प्रयोगशाला रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि सिरप में कौन-सा हानिकारक तत्व मौजूद था।
इस बीच, केंद्र सरकार ने संबंधित कंपनी को निर्देश दिया है कि जांच पूरी होने तक उत्पादन केंद्र बंद रखें और किसी भी बैच की बिक्री न करें।

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औषधि नियंत्रण प्रणाली पर उठे सवाल

इस घटना के बाद भारत की दवा गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (Drug Quality Monitoring System) पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में हजारों लघु और मध्यम दवा निर्माता हैं, जिनकी गुणवत्ता जांच में अक्सर लापरवाही सामने आती है।
पिछले एक वर्ष में ही गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में भारतीय कंपनियों की दवाओं से हुई मौतों के बाद भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित हुई थी।
अब ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप प्रकरण ने एक बार फिर दवा नियामकों की निगरानी और परीक्षण प्रणाली की कमियों को उजागर कर दिया है।

राज्यों को सख्त निगरानी के आदेश

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वे अपने-अपने औषधि नियंत्रण विभागों की जवाबदेही तय करें
निर्माण इकाइयों की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए, और जहां भी संदिग्ध दवाओं का उत्पादन या वितरण हो रहा हो, वहां तुरंत लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जाए।
साथ ही, अस्पतालों और क्लीनिकों में बिना डॉक्टर की सलाह पर कफ सिरप देने पर रोक लगाने की भी सिफारिश की गई है।

देशव्यापी अलर्ट और जन-जागरूकता की जरूरत

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस घटना को चेतावनी के रूप में लेकर जन-जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
बच्चों के लिए बनी दवाओं में रासायनिक संरचना, सॉल्वेंट और एडिटिव्स की जांच अनिवार्य की जानी चाहिए।

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