सीएम मोहन यादव बोले – सीना ठोक कर फैसला देने से बढ़ा भारत के प्रजातंत्र का मान
इंदौर में शुरू हुआ अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक संगोष्ठी, न्यायाधीशों और विधिज्ञों ने की भागीदारी
इंदौर। मध्यप्रदेश की धरती पर न्याय और लोकतंत्र के मूल्यों को नई दिशा देने वाला एक ऐतिहासिक आयोजन शनिवार को प्रारंभ हुआ। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय और राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा डेनमार्क के पेटेंट एवं ट्रेडमार्क कार्यालय के सहयोग से आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, राजेश बिंदल और अरविंद कुमार की उपस्थिति में हुआ।
यह संगोष्ठी दो दिनों तक चलेगी, जिसमें डिजिटल युग में न्याय व्यवस्था और वाणिज्यिक कानूनों की जटिलताओं पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
न्याय की देवी अब खुली आंखों से करेगी न्याय : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कहा कि समय बदल चुका है। न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी अब हट चुकी है, क्योंकि अब वह खुली आंखों से न्याय कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत की न्याय परंपरा अति प्राचीन है, और इस संगोष्ठी के लिए राजा विक्रमादित्य की भूमि को चुना जाना गर्व का विषय है।
मुख्यमंत्री ने अयोध्या विवाद के ऐतिहासिक फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस मुद्दे को लेकर देश में वर्षों से मतभेद और टकराव की स्थिति रही, उस पर सर्वोच्च न्यायालय ने साहसिक निर्णय देकर भारत के लोकतंत्र की प्रतिष्ठा को वैश्विक स्तर पर ऊंचा किया। उन्होंने कहा, “जिस विषय पर समाज में अलग-अलग धाराएं थीं, उसे टालने की परंपरा रही थी, लेकिन हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने सीना ठोक कर निर्णय दिया और उसे लागू भी कराया। यह भारतीय प्रजातंत्र की ताकत है।”
न्याय की आत्मा कभी नहीं बदलती : डॉ. यादव
मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के युग में भी न्याय की आत्मा वही रहती है। उन्होंने कहा कि न्याय हमेशा समानता, पारदर्शिता, विनम्रता और समयबद्धता पर आधारित रहेगा।
उन्होंने न्यायिक क्षेत्र में तकनीकी सुधारों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि डिजिटल माध्यमों से न्याय तक पहुंच को आसान बनाना समय की मांग है, लेकिन न्याय का मूल भाव — निष्पक्षता और नैतिकता — सदा अटल रहेगा।

डिजिटल युग में कानून की जटिलताओं पर होगा मंथन
संगोष्ठी के पहले दिन विभिन्न देशों और भारत के न्यायविदों ने डिजिटल युग में वाणिज्यिक कानून की जटिलताओं और उसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी का विषय — “विकासशील क्षितिज: डिजिटल दुनिया में वाणिज्यिक और मध्यस्थता कानून की जटिलता और नवाचार” — इस बात को रेखांकित करता है कि न्याय व्यवस्था को अब सीमाओं से परे जाकर डिजिटल परिवेश के अनुरूप ढलना होगा।
दो दिनों में आयोजित होने वाले छह तकनीकी सत्रों में निम्न विषयों पर चर्चा की जाएगी —
- प्रौद्योगिकी और वाणिज्यिक कानून के विकसित होते आयाम
- इंटरनेट मध्यस्थों की देयता एवं दायित्व
- ऑनलाइन वाणिज्य में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा
- भारत एवं यूरोपीय संघ के दृष्टिकोण से मध्यस्थता कानून की रूपरेखा
- ऑनलाइन अवैध गतिविधियों का आपराधिक प्रवर्तन
- बौद्धिक संपदा एवं नवाचार
इन विषयों पर भारत सहित विभिन्न देशों के विधिज्ञ, न्यायाधीश और कानून विशेषज्ञ अपने विचार साझा कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश की उपस्थिति में होगा समापन
यह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी रविवार को अपने समापन सत्र में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की गरिमामयी उपस्थिति में पूर्ण होगी।
समापन सत्र में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण और विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग लेंगे। इससे यह आयोजन वैश्विक न्यायिक सहयोग का एक सशक्त उदाहरण बनेगा।

न्यायपालिका की प्रगतिशील सोच का प्रतीक है यह पहल
यह संगोष्ठी मध्यप्रदेश न्यायपालिका की दूरदर्शी और प्रगतिशील दृष्टि का परिचायक है। न्यायिक उत्कृष्टता को सुदृढ़ करने, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देने और डिजिटल युग की चुनौतियों से निपटने के लिए न्याय प्रणाली को उन्नत बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
विभिन्न विधिक दृष्टिकोणों को जोड़ते हुए यह आयोजन सीमापार विवादों के समाधान के लिए प्रभावी मॉडल प्रस्तुत करेगा और भारत की न्यायपालिका को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान प्रदान करेगा।
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