लोकमान्य तिलक शिक्षण समिति के वार्षिक अभिनंदन समारोह में बोले मुख्यमंत्री
भोपाल, 6 जून।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को भोपाल में लोकमान्य तिलक शिक्षण समिति के वार्षिक अभिनंदन समारोह में भाग लेते हुए कहा कि “गुरु केवल ज्ञान का दाता नहीं, बल्कि अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक होता है। जीवन में माता-पिता के बाद गुरु ही होता है जो व्यक्ति को उसकी दिशा देता है।”
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालयों में ‘कुलपति’ शब्द की जगह ‘कुलगुरु’ शब्द के प्रयोग पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा में भारतीय परंपराओं की पुनःस्थापना आवश्यक है और विद्यालय परिसर को राष्ट्रवादी विचारों का केंद्र बताया।

लोकमान्य तिलक विद्यालय: राष्ट्र निर्माण का केंद्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकमान्य तिलक विद्यालय परिसर में केवल शिक्षा नहीं, बल्कि भविष्य के भारत के निर्माण की संकल्पना की जाती है। उन्होंने इस अवसर पर अपने विद्यार्थी परिषद काल के अनुभवों को भी साझा किया, जब वे लोटी स्कूल से जुड़े थे।
कार्यक्रम में विधायक अनिल जैन कालुहेड़ा, समिति अध्यक्ष किशोर खंडेलवाल, सचिव विश्वनाथ सोमन, और संचालनकर्ता गिरीश भालेराव सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

मेधावी छात्रों और खिलाड़ियों का सम्मान
समारोह में मुख्यमंत्री ने कक्षा 10वीं के शीर्ष 3 मेधावी छात्र-छात्राओं और राष्ट्रीय स्तर की मल्लखंभ प्रतियोगिता में पदक जीतने वाले 4 होनहार खिलाड़ियों का सम्मान किया। उन्होंने सभी छात्रों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

शिक्षकों के विकास हेतु तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग
समिति अध्यक्ष किशोर खंडेलवाल ने जानकारी दी कि यह अभिनंदन कार्यक्रम हर वर्ष शिक्षकों के उन्नयन हेतु आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग का हिस्सा होता है, जिसमें अलग-अलग विषयों पर चर्चा की जाती है। विद्यालय स्टाफ की सक्रिय उपस्थिति और भागीदारी इस आयोजन को सफल बनाती है।
मुख्य बिंदु:
- मुख्यमंत्री ने गुरु को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला बताया
- कुलपति की जगह ‘कुलगुरु’ शब्द के उपयोग की पैरवी
- 10वीं के टॉपर्स और मल्लखंभ में विजेता छात्रों का सम्मान
- राष्ट्रवादी शिक्षा और भारतीय परंपराओं की पुनर्स्थापना पर जोर
- 3 दिवसीय शिक्षण अभ्यास वर्ग में शिक्षकों का समावेश
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