October 27, 2025 11:48 PM

समाज को संस्कृति-संस्कारों से ऊर्जावान कर रहा गायत्री परिवार: मुख्यमंत्री मोहन यादव

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मुख्यमंत्री मोहन यादव बोले – गायत्री परिवार संस्कृति और संस्कारों से समाज को कर रहा ऊर्जावान

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश देश का हृदय है और जैसे हृदय पूरे शरीर को रक्त से शुद्ध कर जीवन देता है, वैसे ही गायत्री परिवार समाज को संस्कृति और संस्कारों से ऊर्जावान बनाकर नई चेतना प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि आत्म निर्माण, राष्ट्र निर्माण और युग निर्माण की जो धारा अखिल विश्व गायत्री परिवार के माध्यम से प्रवाहित हो रही है, वह भारत की सांस्कृतिक शक्ति का सजीव उदाहरण है। मुख्यमंत्री सोमवार को भोपाल स्थित शारदा विहार विद्यालय में आयोजित अखिल विश्व गायत्री परिवार के तीन दिवसीय प्रांतीय युवा चिंतन शिविर के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर शिविर का शुभारंभ किया और कहा कि इस आयोजन का मध्यप्रदेश में होना गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत को राजनीतिक आज़ादी तो 1947 में मिल गई थी, लेकिन वैचारिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता की दिशा में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कर युवाओं को नई दृष्टि दी। यह वर्ष संघ का शताब्दी वर्ष है, और इस अवसर पर गायत्री परिवार द्वारा आयोजित यह चिंतन शिविर समाज में वैचारिक जागृति का प्रतीक है।

डॉ. यादव ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय, बाल गंगाधर तिलक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महापुरुषों ने युवाओं को राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की प्रेरणा दी। इसी दिशा में गायत्री परिवार आत्मिक विकास और सामाजिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

संस्कारों को सरल भाषा में जनसुलभ बनाया

मुख्यमंत्री ने कहा कि गायत्री परिवार ने विवाह सहित सभी संस्कारों को सरल और ग्राह्य भाषा में संपन्न कराने की परंपरा शुरू की, जिससे आमजन में संस्कारों का महत्व बढ़ा और उनके पीछे की आध्यात्मिक भावना को समझना सहज हुआ। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार भी वैदिक पद्धतियों को पुनर्जीवित करने की दिशा में सक्रिय है। इसी क्रम में वैदिक काल गणना के लिए “वैदिक घड़ी” तैयार की गई है। इसके अतिरिक्त भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े कई विषयों पर शोध और अध्ययन जारी है।

शिक्षा में सनातन संस्कृति का समावेश

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लागू नई शिक्षा नीति 2020 ने भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों को पुनर्स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने भी भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के जीवन के प्रेरक प्रसंगों को स्कूल पाठ्यक्रमों में शामिल किया है ताकि विद्यार्थी भारतीय आदर्शों से प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार ने न केवल सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण में योगदान दिया है, बल्कि सामाजिक विषमताओं को दूर करने में भी सक्रिय भूमिका निभाई है।

डॉ. यादव ने कहा कि आज के समय में जब संस्कृति और परंपराएं आधुनिकता की दौड़ में पीछे छूट रही हैं, तब गायत्री परिवार अपनी साधना और सेवा से समाज को दिशा दे रहा है। उन्होंने कहा कि “सर्वे भवंतु सुखिन:” की भावना के साथ कार्य करते हुए गायत्री परिवार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, नारी उत्थान, पर्यावरण संरक्षण, ग्राम विकास और नशा मुक्ति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं।

“हम बदलेंगे, युग बदलेगा” – गायत्री परिवार का मूल संदेश

शिविर के मुख्य वक्ता डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि “अखिल विश्व गायत्री परिवार कोई संस्था नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है।” उन्होंने कहा कि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने गायत्री मंत्र को केवल जप नहीं बल्कि जीवन की दिशा बनाया। उन्होंने सिखाया कि “युग परिवर्तन की शुरुआत व्यक्ति के भीतर से होती है।”
डॉ. पंड्या ने कहा कि “हम बदलेंगे, युग बदलेगा” का भाव गायत्री परिवार की आत्मा है। जब व्यक्ति स्वयं को सुधारता है, तो उसका परिवार, समाज और अंततः राष्ट्र भी सुधरता है। माताजी भगवती देवी शर्मा ने इस विचार को मातृत्व और सेवा की भावना से जोड़ा, जिससे यह आंदोलन संपूर्ण समाज के उत्थान का माध्यम बन गया।

विकसित भारत-2050 का लक्ष्य

डॉ. पंड्या ने बताया कि इस शिविर का उद्देश्य “विकसित भारत-2050” के लिए आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक मूल्यों पर आधारित नई सोच तैयार करना है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन के चार प्रमुख लक्ष्य हैं —
स्वस्थ युवा-सशक्त राष्ट्र, शालीन युवा-श्रेष्ठ राष्ट्र, स्वावलम्बी युवा-संपन्न राष्ट्र और सेवाभावी युवा-सुखी राष्ट्र।
उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक युवा आत्म निर्माण और राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक कदम बढ़ाए, तो भारत पुनः विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर होगा।

शिविर में केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमारिया सहित बड़ी संख्या में गायत्री परिवार के सदस्य, साधु-संत और युवा उपस्थित रहे। कार्यक्रम में देशभर से आए युवा प्रतिनिधियों ने भी अपने अनुभव और विचार साझा किए।

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