500 से अधिक सड़कें बंद, कई पुल बह गए, फसल और संपत्ति को भारी नुकसान
हिमाचल के किन्नौर में बादल फटा: कैलाश यात्रा रोकी, ITBP ने 413 श्रद्धालुओं को बचाया
शिमला/किन्नौर। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बुधवार सुबह तंगलिंग गांव के पास बादल फटने की भयावह घटना सामने आई है। इससे पूरे क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने एहतियातन कैलाश मानसरोवर यात्रा को रोक दिया है। इस आपदा के चलते 413 तीर्थयात्रियों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की टीम ने जिपलाइन की मदद से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया है।
हिमाचल प्रदेश के तांगलिंग क्षेत्र में किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग पर बादल फटने से ट्रैक का बड़ा हिस्सा बह गया और हजारों यात्री फंस गए थे।
— PB-SHABD (@PBSHABD) August 6, 2025
इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस की 17वीं वाहिनी की टीम ने रस्सी आधारित ट्रैवर्स क्रॉसिंग तकनीक का प्रयोग करते हुए अब तक 413 श्रद्धालुओं को सुरक्षित… pic.twitter.com/PtXxbRmeo8
🌩️ बादल फटने की घटना से तबाही
बुधवार सुबह किन्नौर के तंगलिंग क्षेत्र में अचानक बादल फटने की घटना हुई, जिसके चलते पहाड़ों से भारी मात्रा में मलबा और चट्टानें सड़क पर गिर गईं। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें देखा जा सकता है कि किस तरह चट्टानों की दीवारें नदी की तरह बह रही हैं।
एक अन्य घटना में रिब्बा गांव के पास रालडांग खड्ड में भी बादल फटा। इससे नेशनल हाईवे-5 (एनएच-5) पूरी तरह अवरुद्ध हो गया। करीब 150 मीटर क्षेत्र में सड़क पर कीचड़ और विशाल पत्थर जमा हो गए हैं।

🚫 कैलाश यात्रा स्थगित, दो पुल बह गए
बादल फटने के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा रूट पर भारी नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार:
- यात्रा मार्ग पर दो पुल बह गए हैं।
- कई स्थानों पर सड़कें टूट गईं हैं।
- श्रद्धालु फंसे हुए हैं, जिनमें से अधिकतर को ITBP ने निकाल लिया है।
प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से यात्रा स्थगित कर दी है। मार्गों की मरम्मत और मौसम सुधारने तक यात्रा रोक दी गई है।
🚨 संपत्ति को बड़ा नुकसान
बादल फटने और उससे उपजी अचानक बाढ़ और भूस्खलन के कारण व्यक्तिगत और कृषि संपत्ति को व्यापक नुकसान हुआ है:
- 27 वाहन बह गए हैं।
- 9 घराट (पानी से चलने वाले परंपरागत मिल) नष्ट हो गए हैं।
- सेब की फसल से भरे 27 बगीचे पूरी तरह तबाह हो गए हैं।
- एक चलती कार पर पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मौत हुई है।
🛑 राज्य में 500 से अधिक सड़कें बंद
प्राकृतिक आपदा का असर सिर्फ किन्नौर तक सीमित नहीं है। पूरे राज्य में 500 से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं:
- चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे मंगलवार रात से भूस्खलन के कारण अवरुद्ध है।
- ठियोग के शिलारू और झाकड़ी क्षेत्र में भारी भूस्खलन से एनएच-5 पूरी तरह ठप है।
- कड़छम-सांगला मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है।
- किन्नौर का शिमला से संपर्क टूट चुका है।
🛡️ राहत और बचाव कार्य जारी
प्रशासन, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, और स्थानीय पुलिस बल राहत कार्य में जुटे हुए हैं:
- फंसे लोगों को जिपलाइन, ट्रॉली और ट्रैकिंग के जरिए निकाला जा रहा है।
- सड़कें और पुलों की मरम्मत के लिए युद्ध स्तर पर काम शुरू हो गया है।
- हेलिकॉप्टर से स्थिति का जायजा लिया जा रहा है और जरूरत पर एयरलिफ्टिंग की तैयारी है।
⚠️ प्रशासन की अपील
प्रशासन ने स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों से आग्रह किया है कि वे:
- पहाड़ी और नदी क्षेत्रों से दूर रहें।
- किसी भी प्रकार के जोखिम भरे यात्रा कार्यक्रम टाल दें।
- मौसम और प्रशासन की चेतावनियों का पालन करें।
🔍 विशेषज्ञों की चेतावनी
जलवायु विशेषज्ञों ने कहा है कि पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में भारी बारिश और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण बादल फटने की घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित निर्माण कार्य और पर्यावरणीय असंतुलन को कारण बताया जा रहा है।

📌
किन्नौर में बादल फटने की यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि हिमालयी क्षेत्र कितना संवेदनशील और असुरक्षित हो गया है। कैलाश यात्रा जैसे धार्मिक आयोजन भी अब प्रकृति के कोप से अछूते नहीं रहे।
प्रशासन और जनता दोनों के लिए यह चेतावनी का समय है कि पहाड़ों में विकास कार्यों और पर्यटन को संतुलित और टिकाऊ ढंग से आगे बढ़ाया जाए।

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