October 16, 2025 9:15 AM

🌩️ बदलते पैटर्न से बढ़ा खतरा: अब कम ऊंचाई पर फट रहे बादल, भारी तबाही की आशंका

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बदला क्लाउडबर्स्ट का ट्रेंड: अब 4000 फीट पर फट रहे बादल, बढ़ा खतरा

🗞️ नई दिल्ली।
उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में बादलों के फटने की घटनाओं ने एक नया और चिंताजनक रुख अख्तियार कर लिया है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्यों में बीते कुछ वर्षों से क्लाउडबर्स्ट की घटनाएं अब ऊंचे पहाड़ों पर नहीं, बल्कि अपेक्षाकृत कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हो रही हैं, जिससे आबादी वाले इलाकों पर खतरा और अधिक बढ़ गया है।


⛰️ अब 6000 फीट नहीं, 3000-4000 फीट पर फट रहे बादल

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पहले क्लाउडबर्स्ट की घटनाएं सामान्यतः 5000 से 6000 फीट की ऊंचाई पर होती थीं, लेकिन अब ये घटनाएं 3000 से 4000 फीट की ऊंचाई पर घटित हो रही हैं। उत्तर भारत के मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पवन यादव बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन और वातावरण में बढ़ती नमी की वजह से बादल अब अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर ही फटने लगे हैं।

“बदलते मौसम और वायुमंडलीय दबाव में असंतुलन की वजह से क्लाउडबर्स्ट की ऊंचाई घट रही है, जो कि बेहद खतरनाक संकेत है।”
— डॉ. पवन यादव, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक


⚠️ कम ऊंचाई पर क्लाउडबर्स्ट: आबादी पर सीधा असर

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व उपनिदेशक (मौसम) डॉ. आर.एन. प्रजापति का कहना है कि कम ऊंचाई पर क्लाउडबर्स्ट होना ज्यादा खतरनाक है क्योंकि पहाड़ों के 3-4 हजार फीट की ऊंचाई पर सबसे अधिक आबादी बसती है।

“कम ऊंचाई पर फटे बादल सीधे गांवों और कस्बों पर असर डालते हैं। यह सिलसिला नहीं रुका तो बड़ी तबाही हो सकती है।”


🌧️ 2023 की तरह इस बार भी दिखा पैटर्न

पिछले वर्ष हिमाचल के कांगड़ा में जो क्लाउडबर्स्ट हुआ था, वह सामान्य क्लाउडबर्स्ट ज़ोन से नीचे की ऊंचाई पर हुआ था। इस साल फिर वही ट्रेंड दोहराया जा रहा है, जिससे वैज्ञानिकों की चिंता और गहरी हो गई है।


🪨 बारिश और क्लाउडबर्स्ट से बढ़ा भूस्खलन का खतरा

वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक दिव्यप्रताप शुक्ला के अनुसार पहाड़ों पर लगातार बारिश और क्लाउडबर्स्ट से चट्टानों की संरचना कमजोर हो जाती है। इसका सीधा असर भूस्खलन (landslide) और धरती खिसकने की घटनाओं के रूप में सामने आता है।

“अगर समय रहते पहाड़ी क्षेत्रों की बसावट और निर्माण कार्यों को नियंत्रित नहीं किया गया, तो भविष्य में बड़े हादसे टालना मुश्किल होगा।”


📊 क्लाउडबर्स्ट क्या होता है?

  • क्लाउडबर्स्ट यानी कम समय में अत्यधिक वर्षा
  • आम तौर पर 100 मिमी प्रति घंटे की वर्षा को क्लाउडबर्स्ट माना जाता है, लेकिन पहाड़ों में यह 500 मिमी प्रति घंटे तक पहुँच सकती है।
  • परिणामस्वरूप: फ्लैश फ्लड, भूस्खलन, नदी का रुख बदलना, घर व सड़कें ध्वस्त

🛑 अब क्या ज़रूरी है?

  • पर्वतीय बसावट की नए सिरे से प्लानिंग
  • जलवायु अनुकूल निर्माण
  • पूर्व चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) को मजबूत बनाना।
  • स्थानीय निकायों और प्रशासन को सतर्क रहना।

📢 यह कोई सामान्य बदलाव नहीं, बल्कि आने वाली बड़ी आपदाओं की चेतावनी है।
अब वक्त आ गया है कि हम जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लें और पहाड़ों पर विकास को प्राकृतिक अनुकूलता के साथ संतुलित करें।


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