नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT-2025) के परिणामों को दोबारा जारी करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह फैसला उस समय आया जब लॉ यूनिवर्सिटीज के कंसोर्टियम ने उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि सीएलएटी-2025 में पूछे गए कुछ सवाल त्रुटिपूर्ण थे और इसलिए परीक्षा परिणामों को चार हफ्ते के भीतर दोबारा जारी किया जाए। कोर्ट की सिंगल बेंच और फिर डिवीजन बेंच ने भी माना कि परीक्षा के कम से कम दो उत्तर गलत थे। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने परीक्षा कराने वाले कंसोर्टियम को पुनः मूल्यांकन कर परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था।
इसके विरोध में कंसोर्टियम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में पहले से कई याचिकाएं लंबित थीं, जिनमें से सभी को पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया जा चुका है। अब जब हाईकोर्ट ने अंतिम आदेश दे दिया है, तो यह आवश्यक है कि उस पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में आगे की कार्यवाही हो।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान निर्देश दिया कि कंसोर्टियम अपनी वेबसाइट पर यह स्पष्ट करे कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है और इस पर रोक लगी है।
CLAT-2025 की परीक्षा दिसंबर 2024 में आयोजित की गई थी, जो देशभर के लॉ कॉलेजों में पांच वर्षीय एलएलबी कोर्स में प्रवेश के लिए होती है। इसके नतीजों को लेकर दिल्ली, कर्नाटक, झारखंड, राजस्थान, बॉम्बे, मध्यप्रदेश और पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दायर हुई थीं, जिनमें से सभी में सवालों की शुद्धता को लेकर गंभीर आपत्ति जताई गई थी।
अब सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप से CLAT-2025 के नतीजों को लेकर बनी अनिश्चितता और कानूनी पेचीदगियों पर अगली सुनवाई तक विराम लग गया है।
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