चीन भारत को खाद, रेयर अर्थ मटेरियल और टनल बोरिंग मशीन की सप्लाई करेगा, रिश्तों में सुधार का संकेत
चीन ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह देश की तीन महत्वपूर्ण जरूरतें—उर्वरक (खाद), रेयर अर्थ मटेरियल और टनल बोरिंग मशीन—की सप्लाई करेगा। यह भरोसा चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत दौरे के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को दिया। इस पहल को दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
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दो दिन के दौरे पर भारत आए वांग यी
चीन के विदेश मंत्री वांग यी 18 अगस्त को दो दिन के भारत दौरे पर पहुंचे। उन्होंने 19 अगस्त को विदेश मंत्री जयशंकर के साथ विस्तृत बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने आपसी रिश्तों को मजबूत करने और सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।
वांग यी ने बैठक में कहा कि दुनिया तेजी से बदलते हालात से गुजर रही है। फ्री ट्रेड और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में भारत और चीन जैसे बड़े विकासशील देशों को, जिनकी आबादी मिलकर करीब 2.8 अरब है, जिम्मेदारी दिखाते हुए साथ मिलकर काम करना होगा।
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NSA अजित डोभाल से भी मुलाकात
विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से भी मुलाकात की। बातचीत का मुख्य विषय सीमा विवाद और सीमा पर शांति बहाली रहा।
वांग यी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सीमा विवाद ने दोनों देशों के रिश्तों को नुकसान पहुंचाया है, जो न तो भारत और न ही चीन के लोगों के हित में था। उन्होंने अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हुई मुलाकात का भी जिक्र किया। उस मुलाकात को उन्होंने द्विपक्षीय रिश्तों की दिशा तय करने वाला और सीमा विवाद सुलझाने में नया उत्साह देने वाला बताया।
डोभाल ने भी भरोसा जताया कि मौजूदा वार्ता सकारात्मक परिणाम लेकर आएगी। उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में सीमा पर शांति और स्थिरता बनी है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते अधिक ठोस हुए हैं।
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2020 की तनातनी से अब तक
भारत-चीन संबंधों में तनाव 2020 में पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प के बाद बढ़ा था। उस समय दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं और कई महीनों तक गतिरोध बना रहा। हालांकि, हाल के महीनों में लगातार बातचीत और समझौतों से रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिशें तेज हुई हैं।
चीन की ओर से हाल में लगाए गए प्रतिबंध
गौरतलब है कि चीन ने हाल ही में भारत को लेकर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे।
- जुलाई 2025 में, चीन ने भारत को जरूरी मशीनों और पार्ट्स की डिलीवरी रोक दी थी। ये मशीनें इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए बेहद जरूरी थीं।
- इसी दौरान, भारत में आईफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन को अपने 300 से ज्यादा चीनी इंजीनियर और तकनीशियन वापस बुलाने पड़े। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने यह कदम भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रभावित करने के लिए उठाया था।
- अप्रैल 2025 में, चीन ने सात रेयर अर्थ मटेरियल्स के एक्सपोर्ट पर कड़ी पाबंदियां लगा दी थीं। इनके आयात के लिए विशेष लाइसेंस जरूरी कर दिया गया था, जिससे भारत की सप्लाई पर असर पड़ा।
क्यों लगाए गए थे प्रतिबंध?
चीन का तर्क है कि रेयर अर्थ मटेरियल्स का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा और गैर-सैन्य उपयोग से जुड़ा है। नए नियमों के मुताबिक, हर आयातक को "एंड-यूजर सर्टिफिकेट" देना होगा। इसमें यह साबित करना जरूरी है कि इन मैग्नेट्स का इस्तेमाल सैन्य कामों में नहीं होगा और न ही इन्हें अमेरिका या किसी तीसरे देश को री-एक्सपोर्ट किया जाएगा।
आगे का रास्ता
भारत और चीन दोनों ही देश समझते हैं कि आर्थिक सहयोग, व्यापारिक रिश्ते और सीमा पर शांति उनके लिए फायदेमंद हैं। भारत की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए चीन की ओर से खाद, रेयर अर्थ मटेरियल और टनल बोरिंग मशीन की सप्लाई का आश्वासन सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल दोनों देशों के रिश्तों में नया अध्याय खोल सकती है, लेकिन सीमा विवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भरोसा कायम रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
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