बस्तर में 210 नक्सलियों ने छोड़ी हिंसा की राह, सरकार की पुनर्वास नीति बनी प्रेरणा
आत्मसमर्पण करने वालों को घर, जमीन और आर्थिक सहायता देगी सरकार: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
जगदलपुर, 17 अक्टूबर।
छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवाद के खिलाफ सरकार की नीति और संवाद की पहल अब सकारात्मक परिणाम देने लगी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुक्रवार को जगदलपुर में पत्रकारवार्ता के दौरान कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत मकान, जमीन और तीन वर्षों तक आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। साथ ही, उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि जो लोग कभी भटके हुए रास्ते पर चले गए थे, वे अब गांधीजी के अहिंसा के विचारों और सरकार की संवेदनशील नीतियों से प्रेरित होकर समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं। उन्होंने आत्मसमर्पण करने वालों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह कदम न केवल बस्तर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के विकास के लिए ऐतिहासिक साबित होगा।

सरकार की पुनर्वास नीति से बदल रहा है बस्तर
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में एक समग्र पुनर्वास नीति तैयार की है, जिसमें आत्मसमर्पण करने वालों के लिए मकान, जमीन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका की गारंटी दी गई है। उन्होंने बताया कि अब तक राज्य में 210 से अधिक नक्सलियों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है, जो अब तक के इतिहास में अभूतपूर्व है। यह सरकार की नीतियों और जनता के विश्वास का प्रमाण है।
साय ने कहा कि बस्तर अब परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। जिन इलाकों में कभी विकास की रोशनी नहीं पहुंची थी, वहां अब सड़कें बन रही हैं, बिजली पहुंच रही है, और राशन जैसी बुनियादी सुविधाएं सुलभ हो रही हैं। उन्होंने कहा कि नियद नेल्लानार जैसी विकास योजनाओं के तहत सड़कों, स्वास्थ्य सेवाओं और पेयजल की सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है।
आत्मसमर्पित नक्सलियों को मिलेगा सम्मान और अवसर
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों को न केवल आर्थिक सहायता दी जाएगी, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पित लोग यदि चाहें तो उन्हें जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) में शामिल किया जाएगा। इससे वे समाज की रक्षा में भी योगदान दे सकेंगे।
उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आत्मसमर्पित नक्सलियों का जीवन सम्मानजनक हो और उन्हें समाज में पुनः स्थापित होने में कोई कठिनाई न आए। उन्हें 3 वर्ष तक वित्तीय सहायता दी जाएगी ताकि वे अपने परिवारों के साथ सामान्य जीवन जी सकें।”

गृहमंत्री विजय शर्मा बोले — “यह बस्तर के इतिहास का ऐतिहासिक दिन”
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की संवेदनशील पहल के कारण आज बस्तर में 210 नक्सलियों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय केवल सरकार के दबाव का नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक चेतना और बदलते बस्तर की सोच का परिणाम है।
विजय शर्मा ने बताया कि माओवादी संगठन के सदस्यों ने यह महसूस किया कि “सरकार से बड़ा समाज होता है,” इसलिए उन्होंने समाज के समक्ष पुनर्वास का निर्णय लिया। बस्तर के पारंपरिक समाजिक प्रतिनिधि — मांझी, चालकी, गायता और पुजारियों — ने इन आत्मसमर्पित नक्सलियों का स्वागत किया।
गृहमंत्री ने यह भी कहा कि पुनर्वास नीति के तहत यदि कोई आत्मसमर्पित व्यक्ति माता-पिता के सुख से वंचित है या चिकित्सा की आवश्यकता है, तो सरकार उसे मेडिकल उपचार की पूरी सुविधा देगी।
2026 तक माओवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का लक्ष्य
विजय शर्मा ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वर्ष 2026 तक माओवाद के पूर्ण खात्मे का संकल्प लिया है और राज्य सरकार उसी दिशा में निरंतर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि “अब उत्तर-पश्चिम छत्तीसगढ़ पूरी तरह नक्सलमुक्त हो चुका है और जल्द ही बाकी इलाकों में भी शांति की स्थापना होगी।”
उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में माओवादी संगठन की “माड़ डिविजन कमेटी”, “गढ़चिरौली कमेटी”, “कंपनी नंबर वन”, “कंपनी दस”, “संचार टीम”, “प्रेस टीम” और “डॉक्टर टीम” शामिल हैं। यह इस बात का संकेत है कि अब संगठन के भीतर भी हिंसा के प्रति मोहभंग बढ़ रहा है।
प्रशासनिक और सुरक्षा अधिकारी रहे मौजूद
पत्रकारवार्ता में उपमुख्यमंत्री अरुण साव, सांसद बस्तर महेश कश्यप, विधायक किरण देव, विधायक विनायक गोयल, विधायक चैतराम अटामी, छत्तीसगढ़ ब्रेवरेज कारपोरेशन के अध्यक्ष श्रीनिवास राव मद्दी सहित पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, नक्सल ऑपरेशन के एडीजी विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी के अधिकारी, बस्तर कमिश्नर डोमन सिंह, आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., एसपी शलभ सिन्हा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
यह आत्मसमर्पण केवल एक प्रशासनिक उपलब्धि नहीं, बल्कि बस्तर में शांति, विश्वास और विकास की नई शुरुआत का प्रतीक है।
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