छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल करने की तैयारी
छठ पर्व को मिलेगी वैश्विक पहचान! भारत सरकार करेगी यूनेस्को में नामांकन, सांस्कृतिक धरोहर सूची में होगा शामिल
नई दिल्ली। लोक आस्था का प्रतीक और सूर्य उपासना का महापर्व छठ अब वैश्विक मान्यता की ओर बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो छठ भारत की सांस्कृतिक कूटनीति की बड़ी उपलब्धि साबित होगा।
2026–27 नामांकन में शामिल होगा प्रस्ताव
संस्कृति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को जानकारी दी कि यह प्रस्ताव 2026–27 नामांकन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। मंत्रालय का मानना है कि छठ पर्व का महत्व केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रवासी भारतीयों के माध्यम से कई देशों में गहराई से जुड़ा हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की बैठक
इसी उद्देश्य से मंगलवार को नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में एक बैठक आयोजित हुई। इसमें संयुक्त अरब अमीरात, सूरीनाम और नीदरलैंड्स के वरिष्ठ राजनयिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक की अध्यक्षता संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने की।
बैठक में संस्कृति मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी और आईजीएनसीए के अधिकारी भी उपस्थित रहे। विदेशी प्रतिनिधियों ने छठ पर्व को यूनेस्को सूची में शामिल करने की पहल का स्वागत किया और आश्वासन दिया कि उनके देशों में बसे प्रवासी भारतीय समुदाय भी इस दिशा में सहयोग करेंगे।
भारतीय राजनयिकों से संवाद
संस्कृति सचिव ने मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड्स में भारतीय राजदूतों और उच्चायुक्तों से वर्चुअल संवाद किया। राजनयिकों ने छठ पर्व से जुड़े समुदायों की पहचान और दस्तावेजीकरण के लिए आवश्यक डेटा उपलब्ध कराने का भरोसा दिया।
छठ पर्व का महत्व
छठ सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का महापर्व है, जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और देश-विदेश में बसे प्रवासी भारतीय समुदायों द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाता है। मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड्स जैसे देशों में बसे भारतीय भी हर साल इस पर्व का आयोजन करते हैं।
यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें उपासक कठिन व्रत, नदी या तालाब में अर्घ्य और प्रकृति की आराधना करते हैं। इसे भारत की सबसे शुद्ध और लोक आस्था से जुड़ी परंपराओं में से एक माना जाता है।

यूनेस्को सूची में शामिल होने का महत्व
यदि छठ पर्व को यूनेस्को की सूची में शामिल किया जाता है, तो इससे भारत की जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं और सार्वभौमिक मूल्यों को वैश्विक पहचान मिलेगी। साथ ही इस परंपरा का व्यवस्थित दस्तावेजीकरण, संरक्षण और आने वाली पीढ़ियों तक इसका हस्तांतरण सुनिश्चित हो सकेगा।

भारत की सांस्कृतिक धरोहरें पहले से सूची में
गौरतलब है कि भारत के कई सांस्कृतिक उत्सव और परंपराएं पहले से ही यूनेस्को की अमूर्त धरोहर सूची में शामिल हैं, जिनमें दुर्गा पूजा, रामलीला और गरबा प्रमुख हैं। कुल मिलाकर अब तक 15 सांस्कृतिक परंपराएं भारत से इस सूची में शामिल की जा चुकी हैं।
छठ पर्व का नाम जुड़ना न केवल बिहार और पूर्वी भारत के लिए गर्व की बात होगी, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता को विश्व पटल पर और सशक्त करेगा।
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