चेतेश्वर पुजारा का संन्यास : 15 साल बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को कहा अलविदा, जानें करियर की पूरी कहानी
नई दिल्ली। भारतीय टेस्ट क्रिकेट के भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने रविवार को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक भावनात्मक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि भारत की जर्सी पहनना और देश का प्रतिनिधित्व करना उनके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है।
पुजारा का आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच जून 2023 में इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल (लंदन) में खेला गया आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल था। इसके बाद से उन्हें टीम इंडिया में जगह नहीं मिली। लंबे समय से टीम से बाहर रहने के बाद आखिरकार उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया।
2010 में डेब्यू, 15 साल का सफर
चेतेश्वर पुजारा ने साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट मैच से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा था। द्रविड़ के बाद भारत को "दीवार" कहे जाने वाले इस खिलाड़ी ने अगले डेढ़ दशक तक भारतीय बल्लेबाजी क्रम की रीढ़ बनकर खेला।
- टेस्ट करियर : 103 मैच, 176 पारियां, 43.60 की औसत से 7,195 रन
- शतक : 19
- अर्धशतक : 35
- सबसे बड़ा स्कोर : 206 रन
- वनडे करियर : 5 मैच, 51 रन, औसत 10.20
- टी-20 इंटरनेशनल : एक भी मैच नहीं खेल पाए
विदेशी धरती पर भारत के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज
पुजारा का करियर सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने कई मौकों पर भारतीय टीम को मुश्किल परिस्थितियों से उबारा।
- 2018-19 की ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज में पुजारा भारत की ऐतिहासिक जीत के सबसे बड़े हीरो साबित हुए। उन्होंने 4 मैचों में 521 रन बनाए और सीरीज जीत की नींव रखी।
- उनका धैर्य, गेंदबाजों को थकाकर खेलने की क्षमता और विकेट पर डटे रहने की जिजीविषा उन्हें टीम इंडिया का सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज बनाती रही।
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भावनात्मक विदाई
संन्यास की घोषणा करते हुए पुजारा ने लिखा –
"भारत की जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और मैदान पर हर बार अपना सर्वश्रेष्ठ देना मेरे जीवन के वे अनुभव हैं जिन्हें शब्दों में बयान करना असंभव है।"
उन्होंने अपने कोच, टीममेट्स, परिवार और प्रशंसकों का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह यात्रा उनके लिए अविस्मरणीय रही है।
द्रविड़ की परंपरा के वारिस
पुजारा को अकसर "नए द्रविड़" के रूप में जाना जाता रहा। जिस तरह राहुल द्रविड़ को उनकी तकनीक और धैर्य के लिए जाना जाता है, वैसे ही पुजारा ने भी भारतीय क्रिकेट को स्थिरता दी। तेज गेंदबाजों के सामने घुटने न टेकना और घंटों क्रीज पर टिके रहना उनकी सबसे बड़ी ताकत रही।
संन्यास के बाद का सफर
हालांकि पुजारा अब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेलेंगे, लेकिन वे घरेलू क्रिकेट और काउंटी क्रिकेट में खेलना जारी रख सकते हैं। इसके अलावा संभावना है कि वे आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट के लिए कोचिंग या सलाहकार की भूमिका निभाएं।
चेतेश्वर पुजारा ने भले ही वनडे और टी-20 में खुद को स्थापित नहीं किया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने भारतीय टीम को मजबूती देने का काम किया। उनकी धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी और जुझारूपन आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल है। उनका नाम हमेशा उन खिलाड़ियों में शुमार रहेगा जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को मजबूत नींव दी।
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