July 14, 2025 6:51 PM

CDS जनरल अनिल चौहान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की समीक्षा की, कहा – “सेना आधुनिक युद्ध के लिए हर मोर्चे पर तैयार रहे”

  • पुणे स्थित दक्षिणी कमान मुख्यालय का दौरा, रणनीतिक चुनौतियों और इंटर-सर्विसेस तालमेल पर दिया जोर

पुणे। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पुणे में दक्षिणी कमान मुख्यालय का दौरा कर ऑपरेशनल तैयारियों, सुरक्षा स्थिति और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की। इस दौरे का उद्देश्य तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायुसेना — के आपसी समन्वय और मिशन क्षमता का मूल्यांकन करना था, खासतौर पर हाल ही में आयोजित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में। दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने CDS को सुरक्षा परिदृश्य, लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल रेडीनेस से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी। जनरल चौहान ने सैनिकों की दक्षता और तीनों सेनाओं के समन्वित प्रयासों की सराहना की।

‘ऑपरेशन सिंदूर’: इंटर-सर्विसेस तालमेल का उदाहरण

CDS ने विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा कि यह सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा, “इस तरह की साझा कार्रवाई देश की रक्षा रणनीति को मजबूती प्रदान करती है और युद्ध की बदलती प्रकृति में हमारी क्षमता को रेखांकित करती है।”

“युद्ध अब पारंपरिक नहीं, असममित और तकनीकी हो चला है”

CDS चौहान ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अब युद्ध की प्रकृति पारंपरिक नहीं रह गई है। उन्होंने ‘नॉन-ट्रेडिशनल’ और ‘एसिमेट्रिक’ खतरे, जैसे साइबर अटैक, अंतरिक्ष सुरक्षा और सूचना युद्ध पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई। “आधुनिक युद्ध टेक्नोलॉजी-संचालित है। हमें भूमि, समुद्र, आकाश, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस — सभी क्षेत्रों में सतर्क और तैयार रहना होगा।”

खुफिया, निगरानी और साइबर क्षमताओं में निवेश जरूरी

जनरल चौहान ने कहा कि भारत को भविष्य के खतरों से निपटने के लिए खुफिया नेटवर्क, निगरानी प्रणाली और साइबर क्षमता में काफी अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। उन्होंने नवाचार, संयुक्त अभियानों और तीनों सेनाओं के समन्वय को आने वाले समय की आवश्यकता बताया।

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में बदलाव के संकेत

यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब भारत अपनी रक्षा रणनीति को और अधिक समग्र, एकीकृत और आधुनिक बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। जनरल चौहान का यह दौरा इस बात का संकेत है कि भारत भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों को लेकर सजग और गंभीर है, और सेनाओं को तकनीकी और रणनीतिक दोनों स्तरों पर सशक्त बनाया जा रहा है।

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