आरकॉम और अनिल अंबानी पर सीबीआई की छापेमारी: बैंक धोखाधड़ी में 2000 करोड़ का नुकसान
एसबीआई को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान, धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज हुआ मामला
नई दिल्ली। देश के कॉर्पोरेट जगत से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। बैंक धोखाधड़ी के गंभीर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और उसके प्रमोटर निदेशक अनिल अंबानी से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरकॉम के खिलाफ कथित बैंक धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
क्या है मामला
सूत्रों के अनुसार, आरकॉम पर बैंकों से लिए गए कर्ज में कथित रूप से गड़बड़ी और धोखाधड़ी करने का आरोप है। सीबीआई ने इस सिलसिले में कई दस्तावेज़ों और खातों की जांच शुरू की है। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि कंपनी की वित्तीय गतिविधियों में गंभीर अनियमितताएं हुईं, जिसके चलते एसबीआई को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
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कब दर्ज हुआ धोखाधड़ी का मामला
इस मामले पर पिछले महीने संसद में भी सवाल उठे थे। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट मास्टर डायरेक्शन और बैंक की बोर्ड अनुमोदित धोखाधड़ी वर्गीकरण नीति के अनुसार, संबंधित खातों को 13 जून 2025 को ‘फ्रॉड’ के रूप में चिह्नित किया गया। इसके बाद 24 जून 2025 को बैंक ने इस मामले की जानकारी आरबीआई को दी थी।
सीबीआई की छापेमारी
शनिवार को सीबीआई अधिकारियों ने दिल्ली और मुंबई समेत कई स्थानों पर आरकॉम और अनिल अंबानी से जुड़े परिसरों की तलाशी ली। छापे के दौरान एजेंसी ने कई वित्तीय दस्तावेज, कंप्यूटर डेटा और अन्य अहम रिकॉर्ड जब्त किए हैं। सीबीआई का कहना है कि इनसे मामले की गहराई से जांच में मदद मिलेगी।
कंपनी और अनिल अंबानी की भूमिका पर सवाल
रिलायंस कम्युनिकेशंस, जो कभी देश की प्रमुख दूरसंचार कंपनियों में गिनी जाती थी, बीते एक दशक में लगातार घाटे और कर्ज में डूबी रही। 2019 में कंपनी ने दिवालिया प्रक्रिया शुरू की थी। अब कंपनी और उसके प्रमोटर निदेशक अनिल अंबानी पर बैंक धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने से एक बार फिर वित्तीय पारदर्शिता और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल खड़े हो गए हैं।
राजनीतिक और आर्थिक हलचल
इस कार्रवाई ने देश की राजनीतिक और कारोबारी दुनिया में हलचल मचा दी है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि बड़े उद्योगपतियों को पहले संरक्षण दिया जाता है और जब मामला सार्वजनिक होता है तभी जांच होती है। वहीं, सरकार का कहना है कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और किसी भी तरह का राजनीतिक दबाव नहीं है।
आगे की जांच
सीबीआई ने साफ किया है कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और इसमें कई अन्य पहलुओं की गहन जांच होगी। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर किन प्रक्रियाओं में गड़बड़ी कर बैंकों से लिए गए कर्ज का गलत इस्तेमाल हुआ और इसमें किन-किन अधिकारियों व निदेशकों की भूमिका रही।
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