सीबीआई की जांच के 7,072 भ्रष्टाचार मामले लंबित, 379 मामले 20 साल से पुराने

नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भ्रष्टाचार से जुड़े 7,072 मामले, जिनकी जांच सीबीआई द्वारा की गई थी, देशभर की अदालतों में लंबित हैं। इनमें से 379 मामले 20 साल से भी पुराने हैं।

लंबित मामलों का विवरण

रिपोर्ट के अनुसार लंबित मामलों का विवरण इस प्रकार है:

  • 1,506 मामले तीन साल से कम समय से लंबित
  • 791 मामले तीन से पांच साल से लंबित
  • 2,115 मामले पांच से दस साल से लंबित
  • 2,281 मामले दस से बीस साल तक लंबित
  • 379 मामले बीस साल से भी अधिक समय से लंबित

सीवीसी ने कहा कि 31 दिसंबर 2024 तक कुल 2,660 मामले दस साल से अधिक समय से लंबित हैं।

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अपील और पुनरीक्षण याचिकाएं

सिर्फ मुकदमे ही नहीं, अपील और पुनरीक्षण याचिकाओं की संख्या भी बड़ी है। देशभर के हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कुल 13,100 अपील लंबित हैं। इनमें से 606 अपील 20 साल से अधिक समय से अटकी हैं।

2024 में फैसले और सजा दर

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि 2024 में 644 मामलों में फैसला सुनाया गया

  • 392 मामलों में दोष सिद्ध
  • 154 मामलों में आरोपी बरी

सीबीआई की सजा दर 2024 में 69.14% रही, जो 2023 में 71.47% थी।

वर्ष 2024 में 807 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 674 नियमित मामले और 133 प्राथमिक जांच शामिल थे। वर्ष 2024 के अंत तक विभिन्न अदालतों में गैर-भ्रष्टाचार मामलों सहित कुल 11,384 मामले लंबित थे।

जांच में देरी के कारण

सीवीसी ने स्वीकार किया कि जांच प्रक्रिया में देरी का मुख्य कारण अत्यधिक काम का दबाव, श्रम बल की कमी, विदेशों से सूचना मिलने में देरी और मुकदमा चलाने की मंजूरी में समय लगना है। आयोग ने उम्मीद जताई कि सीबीआई एक साल के भीतर जांच पूरी करके चार्जशीट दाखिल करे, ताकि भ्रष्टाचार के मामलों में जल्द न्याय सुनिश्चित हो सके।

विशेषज्ञों का कहना है कि लंबित मामलों की इस बड़ी संख्या से न केवल न्याय में देरी होती है, बल्कि भ्रष्टाचार रोकने की प्रक्रिया भी प्रभावित होती है।