नई दिल्ली। नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) रेटिंग के लिए रिश्वतखोरी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बड़ा खुलासा किया है। इस मामले में CBI ने शनिवार को देशभर में 20 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें चेन्नई, बेंगलुरु, विजयवाड़ा, पलामू, संबलपुर, भोपाल, बिलासपुर, गौतमबुद्ध नगर और नई दिल्ली शामिल हैं। इस छापेमारी के दौरान जेएनयू के एक प्रोफेसर समेत कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
छापेमारी में मिले 7 लाख रुपये, लैपटॉप और आईफोन
CBI ने इस छापेमारी के दौरान 7 लाख रुपये नकद, 6 लेनोवो लैपटॉप, एक आईफोन 16 प्रो और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है। गिरफ्तार लोगों में भोपाल की जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी के डीन राजेश सिंह पवार भी शामिल हैं। CBI के अनुसार, ये लोग विश्वविद्यालयों को रिश्वत लेकर A++ ग्रेड दिलाने का खेल खेल रहे थे।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
CBI ने जांच के दौरान पाया कि आंध्र प्रदेश के गुन्टूर स्थित कोनेरु लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (KLEF) रिश्वत देकर A++ रेटिंग हासिल करने की कोशिश कर रहा था। इस घोटाले में NAAC निरीक्षण दल के अध्यक्ष और कई सदस्य भी शामिल पाए गए। CBI ने आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और IPC की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
गिरफ्तार किए गए आरोपी
इस मामले में गिरफ्तार किए गए 10 लोगों में कई उच्च पदस्थ अधिकारी और प्रोफेसर शामिल हैं।
- जीपी सारधी वर्मा – कुलपति, केएलईएफ गुन्टूर
- कोनेरु राजा हरीन – उपाध्यक्ष, केएलईएफ गुन्टूर
- ए रामकृष्ण – निदेशक, केएल विश्वविद्यालय हैदराबाद
- समरेन्द्र नाथ साहा – अध्यक्ष, NAAC निरीक्षण टीम
- राजीव सिजारिया – प्रोफेसर, जेएनयू दिल्ली और NAAC समन्वयक
- डी गोपाल – सदस्य, NAAC निरीक्षण टीम और भारत इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ
- राजेश सिंह पवार – डीन, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी भोपाल
- मानस कुमार मिश्रा – निदेशक, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
- गायत्री देवराजा – प्रोफेसर, दावणगेरे यूनिवर्सिटी
- बुलु महाराणा – प्रोफेसर, संबलपुर यूनिवर्सिटी
कैसे होता था घोटाला?
CBI के मुताबिक, रिश्वत का यह खेल बेहद सुनियोजित तरीके से चल रहा था। विश्वविद्यालयों को बेहतर NAAC ग्रेड दिलाने के लिए निरीक्षण दल के सदस्यों को कैश, सोना, महंगे मोबाइल फोन और लैपटॉप दिए जाते थे।
CBI ने बताया कि आरोपी विश्वविद्यालयों से मोटी रकम लेकर उन्हें A++ ग्रेड दिलवाने के लिए निरीक्षण रिपोर्ट में हेरफेर करते थे। इस रेटिंग का सीधा असर विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा, फंडिंग और स्टूडेंट्स के दाखिले पर पड़ता है।
CBI की कार्रवाई अभी जारी
CBI ने कहा है कि मामले की जांच अभी भी जारी है और आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इस खुलासे के बाद देशभर में शिक्षा संस्थानों में होने वाले भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या है NAAC ग्रेडिंग सिस्टम?
NAAC (National Assessment and Accreditation Council) एक स्वायत्त संस्था है, जो भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की गुणवत्ता का आकलन और प्रमाणन करती है। यह A++, A+, A, B, C आदि ग्रेड प्रदान करती है, जो संस्थान की शिक्षा, रिसर्च और इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर दिए जाते हैं।
CBI की इस कार्रवाई ने भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में हो रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है। रिश्वत लेकर NAAC रैंकिंग में हेरफेर करने का यह मामला बेहद गंभीर है और इससे विश्वविद्यालयों की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। जांच एजेंसी ने साफ किया है कि शिक्षा के नाम पर भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।