15 नवंबर से बिना फास्टैग के नकद भुगतान पर देना होगा दोगुना टोल, यूपीआई पर लगेगा 1.25 गुना शुल्क
नई दिल्ली, 04 अक्टूबर। केंद्र सरकार ने टोल प्लाज़ा नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वैध फास्टैग के बिना नकद भुगतान करने वाले वाहन चालकों को 15 नवंबर से दोगुना टोल देना होगा। वहीं, अगर भुगतान यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से किया जाता है, तो चालकों को सामान्य शुल्क से 1.25 गुना भुगतान करना होगा। यह नई व्यवस्था पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों के सभी टोल प्लाज़ाओं पर लागू होगी।
सरकार का उद्देश्य – नकद लेनदेन खत्म कर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि सरकार का यह कदम डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और टोल प्लाज़ा पर नकद लेनदेन को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा सुधार है। इसके तहत राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 में संशोधन किया गया है, जिसे अब राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (तृतीय संशोधन) नियम, 2025 के नाम से 15 नवंबर से लागू किया जाएगा।
मंत्रालय के अनुसार, यह संशोधन आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से टोल संग्रहण को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से किया गया है। साथ ही, इससे टोल प्लाज़ाओं पर वाहनों की भीड़भाड़ में भी कमी आएगी।

नए नियम के तहत शुल्क संरचना में बड़ा बदलाव
नए प्रावधानों के अनुसार, वैध और कार्यात्मक फास्टैग के बिना किसी भी वाहन के टोल प्लाज़ा में प्रवेश करने पर वाहन चालक को नकद भुगतान करने पर दोगुना शुल्क देना होगा। वहीं, जो चालक यूपीआई से भुगतान करेंगे, उनसे सामान्य शुल्क का केवल 1.25 गुना शुल्क वसूला जाएगा।
मंत्रालय ने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि किसी वाहन पर सामान्य टोल शुल्क ₹100 लागू है, तो —
- नकद भुगतान करने पर ₹200 देना होगा।
- यूपीआई से भुगतान करने पर ₹125 देना होगा।
फास्टैग उपयोगकर्ताओं को मिलेगी सुविधा, नकद वालों को हतोत्साहित किया जाएगा
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय उन वाहन मालिकों को प्रोत्साहित करेगा जो डिजिटल माध्यमों से भुगतान करते हैं। फास्टैग या यूपीआई से भुगतान करने वाले चालकों को टोल प्लाज़ा पर अलग लेन और तेज़ पारगमन की सुविधा मिलेगी, जबकि नकद भुगतान करने वालों को अलग कतार में खड़ा रहना होगा और अधिक शुल्क देना पड़ेगा।
इस कदम का उद्देश्य फास्टैग उपयोग को सार्वभौमिक बनाना और नकद लेनदेन को चरणबद्ध रूप से समाप्त करना है।
डिजिटल इंडिया और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
मंत्रालय ने कहा कि यह बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान की भावना को आगे बढ़ाने वाला है। सरकार चाहती है कि हर वाहन चालक डिजिटल भुगतान को अपनाए ताकि समय, ईंधन और संसाधनों की बचत हो सके।
साथ ही, डिजिटल लेनदेन से टोल संग्रह प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार की संभावना घटेगी। मंत्रालय ने कहा कि फास्टैग सिस्टम से राजस्व संग्रह सटीक होता है और डेटा विश्लेषण के माध्यम से सड़क उपयोग के आंकड़े भी बेहतर ढंग से जुटाए जा सकते हैं।
भीड़भाड़ कम होगी और यात्रा होगी सुगम
नकद भुगतान के कारण टोल प्लाज़ाओं पर लगने वाली लंबी कतारें न केवल यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बनती हैं, बल्कि समय और ईंधन दोनों की बर्बादी करती हैं। मंत्रालय का मानना है कि फास्टैग और यूपीआई आधारित भुगतान को बढ़ावा देने से वाहनों की आवाजाही तेज़ होगी और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा अधिक सुगम बनेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भारत को पूरी तरह डिजिटल टोल भुगतान प्रणाली की ओर ले जाएगा। फिलहाल देश के लगभग 97 प्रतिशत वाहनों में फास्टैग सक्रिय है, लेकिन कुछ हिस्सों में नकद भुगतान अब भी जारी है। नई नीति का उद्देश्य इसी शेष हिस्से को भी डिजिटल दायरे में लाना है।
फास्टैग उपयोग बढ़ाने की अपील
सरकार ने वाहन चालकों से अपील की है कि वे 15 नवंबर से पहले अपने वाहनों में वैध फास्टैग अवश्य लगवाएं और उसे सक्रिय रखें। मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि यदि फास्टैग निष्क्रिय या अमान्य पाया गया, तो उसे बिना वैध फास्टैग माना जाएगा और दोगुना शुल्क वसूला जाएगा।
फास्टैग रिचार्ज अब कई माध्यमों से किया जा सकता है — जैसे नेट बैंकिंग, यूपीआई ऐप, पेटीएम, जीपे और विभिन्न बैंकों की वेबसाइटें।
सरकार की प्राथमिकता – समय, ईंधन और पारदर्शिता की बचत
सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा कि फास्टैग प्रणाली के लागू होने से अब तक करोड़ों रुपये की ईंधन और समय की बचत हुई है। इसके साथ ही, डिजिटल टोल संग्रह से राजस्व में वृद्धि और टोल संचालन में जवाबदेही भी सुनिश्चित हुई है।
मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि नई नीति लागू होने के बाद नकद भुगतान पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और भारत दुनिया के उन देशों की श्रेणी में शामिल होगा, जहाँ 100% डिजिटल टोल प्रणाली संचालित है।
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