ओटावा: कनाडा में आज संसदीय चुनाव के लिए मतदान हो रहा है, जिसमें देश के राजनीतिक भविष्य पर गहरा असर पड़ सकता है। इस चुनाव के दौरान मतदाता अपनी पसंद के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए मतदान करेंगे, और इसके परिणाम से सत्ता में नाटकीय बदलाव आ सकता है।
अब तक के प्रारंभिक मतदान में 73 लाख से अधिक वोट डाले गए हैं, जो एक नया रिकॉर्ड है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट हो रहा है कि चुनाव में मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी है, और यह संकेत देता है कि आगामी परिणामों में असाधारण बदलाव हो सकते हैं।
जनवरी में हुए विभिन्न सर्वेक्षणों से यह जानकारी मिली थी कि कंजर्वेटिव पार्टी की ओर से एक मजबूत लहर चल रही थी और पार्टी की जीत तय मानी जा रही थी। हालांकि, जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आई, लिबरल पार्टी ने अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू किया और अब चुनाव में एक कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। हाल के दिनों में लिबरल पार्टी की स्थिति में सुधार हुआ है, जो चुनावी नतीजों को और भी दिलचस्प बना रहा है।
इस चुनाव में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियाँ भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई हैं। ट्रंप के व्यापार युद्ध और कनाडा को 51वां राज्य बनाने की धमकियों ने कनाडाई नागरिकों में गुस्सा पैदा किया है। इसने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया है, जिससे लिबरल पार्टी को मतदाताओं के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद मिली है।
कनाडा के नागरिकों की यह बढ़ी हुई राजनीतिक जागरूकता और मतदाताओं का भारी मतदान रिकॉर्ड दिखाता है कि लोग इस बार के चुनाव परिणामों के प्रति काफी गंभीर हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कंजर्वेटिव पार्टी अपनी बढ़त बनाए रखती है, या लिबरल पार्टी अपने प्रचार अभियान से जीत हासिल कर सकती है।
इस चुनाव के परिणाम केवल कनाडा की राजनीति के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं होंगे, बल्कि यह देश के अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर भी असर डाल सकते हैं, खासकर अमेरिकी सरकार से जुड़े मुद्दों को लेकर। ट्रंप के खिलाफ उठे राष्ट्रवादी स्वर कनाडा के चुनावी माहौल को पूरी तरह से प्रभावित कर रहे हैं, और इससे मतदाताओं का मनोबल बढ़ा है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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