ओटावा।
कनाडा की खुफिया एजेंसी सीएसआईएस (Canadian Security Intelligence Service) की ताज़ा वार्षिक रिपोर्ट ने पहली बार आधिकारिक रूप से इस बात को स्वीकार किया है कि खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा की धरती का उपयोग भारत विरोधी हिंसक गतिविधियों और साजिशों के लिए कर रहे हैं। इस रिपोर्ट ने भारत के लंबे समय से जताए जा रहे उन तमाम संदेहों को पुष्ट किया है, जिनमें कहा गया था कि कनाडा खालिस्तानी तत्वों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बन गया है।
चरमपंथियों को कहा गया ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’
सीएसआईएस की 2024 की रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि 1980 के दशक से ही राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसक चरमपंथ (PMVE) की सबसे प्रमुख अभिव्यक्ति खालिस्तान समर्थकों के माध्यम से सामने आती रही है। ये तत्व “सीबीकेई” (Canada-based Khalistani Extremists) के रूप में कनाडा में सक्रिय हैं और पंजाब में अलग खालिस्तान राष्ट्र की स्थापना के लिए हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं।

वित्तीय नेटवर्क और साजिशों का अड्डा बना कनाडा
एजेंसी ने यह भी स्वीकार किया है कि इन चरमपंथियों का एक छोटा लेकिन सक्रिय नेटवर्क कनाडा में धन जुटाने और भारत में हिंसा की योजनाएं बनाने के लिए मौजूद है। हालाँकि 2024 में कनाडा में किसी खालिस्तानी हमले की पुष्टि नहीं हुई है, फिर भी एजेंसी का कहना है कि इनकी गतिविधियां राष्ट्रीय हितों के लिए खतरा बनी हुई हैं।
भारत के दावों की पुष्टि
भारत सरकार ने कई बार कनाडा से खालिस्तानी आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग की है। रिपोर्ट का यह खुलासा भारत के इन दावों की पुष्टि करता है कि कनाडा की धरती पर भारत विरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं। खास बात यह है कि यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच जी7 शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय वार्ता हुई थी।
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