ओटावा। कनाडा में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है, क्योंकि प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अप्रत्याशित रूप से संघीय चुनाव की घोषणा कर दी है। रविवार को उन्होंने गवर्नर-जनरल मैरी साइमन से मुलाकात कर संसद को भंग करने का अनुरोध किया, जिसे साइमन ने स्वीकृति दे दी। इसके साथ ही कनाडा में 28 अप्रैल को चुनाव कराने की औपचारिक घोषणा हो गई है।
चुनावी मैदान में कौन-कौन?
इस चुनाव में मुख्य मुकाबला मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी और पियरे पोलीवर की कंजर्वेटिव पार्टी के बीच होने की संभावना है। जहां कार्नी वर्तमान प्रधानमंत्री हैं और लिबरल पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं, वहीं पियरे पोलीवर मुख्य विपक्षी दल के नेता हैं और कंजर्वेटिव पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।
क्यों लिया गया अचानक चुनाव का फैसला?
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मार्क कार्नी ने चुनाव की घोषणा करते हुए देश की जनता से समर्थन मांगा। उन्होंने कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से निपटने और कनाडा की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जनादेश चाहते हैं। हाल ही में अमेरिका और कनाडा के बीच व्यापार युद्ध की स्थिति बनी हुई है, और ट्रंप की धमकियों ने कनाडा की संप्रभुता को खतरे में डाल दिया है। ऐसे में कार्नी अपनी सरकार के लिए एक नया और ठोस जनादेश चाहते हैं, ताकि इन चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना कर सकें।
जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री बने कार्नी
मार्क कार्नी जनवरी 2025 में कनाडा के प्रधानमंत्री बने, जब लिबरल पार्टी के पूर्व नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ट्रूडो के अचानक लिए गए इस फैसले के बाद कार्नी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी। तब से अब तक, कार्नी को एक सशक्त नेता के रूप में देखा जा रहा है, जो वैश्विक मुद्दों से निपटने में सक्षम हैं।
अमेरिका-कनाडा संबंध और ट्रंप की धमकी
हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा की संप्रभुता को लेकर दिए गए बयानों के बाद लिबरल पार्टी की लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल आया है। ट्रंप ने कथित तौर पर कहा है कि “अमेरिका को कनाडा पर कब्जा कर लेना चाहिए,” जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए मार्क कार्नी ने स्पष्ट किया कि “हम ऐसा नहीं होने देंगे।”
ट्रंप की इस आक्रामक नीति और कनाडा के प्रति उनकी बयानबाजी ने कनाडाई जनता के बीच चिंता बढ़ा दी है। इस कारण कार्नी अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए चुनावी मैदान में उतर गए हैं।
कनाडा की अर्थव्यवस्था और व्यापारिक संबंध
अमेरिका और कनाडा के बीच आर्थिक संबंध लंबे समय से स्थिर रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में ट्रंप की नीतियों के चलते दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध की स्थिति बन गई है। कनाडा के कई उद्योगों पर अमेरिका ने भारी शुल्क लगाए हैं, जिससे व्यापार प्रभावित हुआ है। कार्नी का कहना है कि अगर उन्हें मजबूत जनादेश मिलता है, तो वह अमेरिका के साथ बेहतर कूटनीतिक संबंधों को बहाल करने की दिशा में काम करेंगे और कनाडा की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाएंगे।
क्या कहता है जनमत सर्वेक्षण?
चुनाव की घोषणा के बाद जनमत सर्वेक्षणों में लिबरल पार्टी को बढ़त मिलती दिख रही है। जनता का रुझान इस ओर इशारा कर रहा है कि कार्नी की नेतृत्व क्षमता पर भरोसा बढ़ा है, खासकर अमेरिका और ट्रंप की नीतियों के जवाब में। हालांकि, कंजर्वेटिव पार्टी भी अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी हुई है, और पियरे पोलीवर भी आक्रामक चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
चुनाव पर नजरें – 28 अप्रैल को होगा मतदान
अब जब चुनावी बिगुल बज चुका है, सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। 28 अप्रैल को कनाडा की जनता अपने अगले प्रधानमंत्री और संघीय सरकार को चुनने के लिए मतदान करेगी। इस चुनाव के नतीजे न केवल कनाडा की राजनीति बल्कि अमेरिका-कनाडा संबंधों और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर भी असर डाल सकते हैं।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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