- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो का फोन आया
- मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा की
- बातचीत के कुछ घंटों बाद जयशंकर ने एक्स पर किया पोस्ट
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक संपर्क तेज़ हो गया है। आधी रात भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो का फोन आया। दोनों नेताओं के बीच गहन चर्चा हुई, जिसमें भारत ने साफ कर दिया कि पहलगाम हमले के दोषियों को सजा दिलाकर ही दम लेगा। फोन कॉल के कुछ ही घंटों बाद जयशंकर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए कहा, “भारत इस बर्बर हमले के अपराधियों, उनके समर्थकों और संरक्षकों को न्याय के कठघरे में खड़ा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
अमेरिका ने जताया दुख, पाकिस्तान से की जांच में सहयोग की अपील
विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने न केवल भारत से बातचीत की, बल्कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी संपर्क साधा। उन्होंने हमले में मारे गए 22 निर्दोष नागरिकों के लिए शोक व्यक्त किया और भारत-पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने तथा तनाव न बढ़ाने की अपील की। रुबियो ने पाकिस्तान से साफ तौर पर आग्रह किया कि वह हमले की निष्पक्ष जांच में सहयोग करे और दक्षिण एशिया में शांति सुनिश्चित करने के लिए भारत से सीधा संवाद बनाए।
ट्रंप भी हुए सक्रिय, पीएम मोदी को किया फोन
इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी। ट्रंप ने इस हमले को कायरतापूर्ण करार देते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत को हरसंभव सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बातचीत के बाद स्पष्ट किया कि भारत आतंक के खिलाफ लड़ाई में कोई कोताही नहीं बरतेगा।
पाकिस्तान पर भारत का दबाव बढ़ा
22 अप्रैल को हुए इस भीषण हमले में 22 नागरिकों की जान गई थी। भारत सरकार ने इसके बाद से कड़ा रुख अपनाते हुए न केवल पाकिस्तान को चेतावनी दी, बल्कि वहां रह रहे भारतीय नागरिकों को भी जल्द देश लौटने की सलाह दी है। अटारी बॉर्डर बंद करने से लेकर अफगानिस्तान ट्रांजिट रूट रोकने तक, भारत ने पाकिस्तान पर राजनयिक और व्यापारिक दबाव भी बढ़ा दिया है। जयशंकर का बयान और अमेरिकी सहयोग के संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि भारत इस बार सिर्फ निंदा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जवाबी कदमों के लिए वैश्विक समर्थन जुटाकर निर्णायक कार्रवाई कर सकता है।