: वित्त मंत्रालय 9 अक्टूबर से शुरू करेगा 2026-27 का बजट निर्माण, जानें क्या होंगे मुख्य फोकस
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को घोषणा की कि वित्त वर्ष 2026-27 के बजट निर्माण की प्रक्रिया 9 अक्टूबर 2025 से शुरू होगी। मंत्रालय ने सभी विभागों और वित्तीय सलाहकारों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
आर्थिक चुनौतियों के बीच अहम बजट
आने वाला बजट कई दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एक ओर वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, तो दूसरी ओर अमेरिका द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का फैसला आर्थिक दबाव बढ़ा रहा है। ऐसे में बजट से उम्मीद है कि सरकार घरेलू मांग को बढ़ाने, रोजगार सृजन को गति देने और अर्थव्यवस्था को 8 प्रतिशत से अधिक की विकास दर दिलाने की दिशा में ठोस प्रावधान करेगी।
6.3-6.8% की विकास दर का अनुमान
सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.3 से 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। जबकि वर्तमान बजट में नाममात्र आधार पर 10.1 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि अगले वर्ष का बजट इन अनुमानों को और मजबूत बनाने में सहायक होगा।
बजट परिपत्र और बैठकें
आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा जारी बजट परिपत्र (2026-27) के अनुसार:
- 9 अक्टूबर से बजट-पूर्व बैठकें सचिव (व्यय) की अध्यक्षता में शुरू होंगी।
- सभी वित्तीय सलाहकारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 3 अक्टूबर तक परिशिष्ट-1 से 7 में अपेक्षित विवरण दर्ज कर दें।
- डेटा की हार्ड कॉपी भी क्रॉस चेकिंग के लिए जमा करनी होगी।
- संशोधित अनुमान (आरई) से जुड़ी बैठकें नवंबर 2025 के मध्य तक चलेंगी।
- मंत्रालयों और विभागों को स्वायत्त निकायों व कार्यान्वयन एजेंसियों का विवरण भी प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। इसके लिए एक समर्पित कोष तैयार किया गया है।
बजट पेश होने की तारीख
परिपत्र के अनुसार, 2026-27 का वार्षिक बजट 1 फरवरी 2026 को संसद के बजट सत्र के पहले भाग के दौरान पेश किया जाएगा।

बजट समय से पहले पेश करने की परंपरा
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने फरवरी के अंत में बजट पेश करने की औपनिवेशिक काल की परंपरा को 2017 में खत्म कर दिया था। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहली बार 1 फरवरी, 2017 को बजट प्रस्तुत किया था।
इस बदलाव के बाद से:
- मंत्रालयों को अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही धन आवंटन मिल जाता है।
- सरकारी विभागों को खर्च करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है।
- कंपनियों को भी अपनी व्यावसायिक और कराधान योजनाओं को समय रहते अनुकूलित करने का मौका मिलता है।
राजकोषीय घाटा
सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। आने वाले बजट में घाटा कम करने और आर्थिक मजबूती लाने के उपायों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
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