नई दिल्ली। अमरनाथ यात्रा के लिए ड्यूटी पर तैनात किए गए 1200 बीएसएफ (BSF) जवानों ने त्रिपुरा से कश्मीर जाने वाली ट्रेन की जर्जर हालत देखकर उसमें सफर करने से इनकार कर दिया। यह घटना 6 जून की है, लेकिन इसका वीडियो अब सामने आया है, जिसमें ट्रेन की खस्ता हालत स्पष्ट दिखाई दे रही है—टूटे टॉयलेट, नदारद गद्दियां, खराब लाइटें और फर्श पर फैली गंदगी व कॉकरोच। जवानों की इस सख्त आपत्ति के बाद रेल मंत्रालय ने तुरंत एक्शन लेते हुए चार रेलवे अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है।
जवानों ने ट्रेन चढ़ने से किया इनकार, कमांडर ने जताई आपत्ति
बीएसएफ के ये जवान अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में तैनाती के लिए भेजे जा रहे थे। 6 जून को जब उन्हें पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (NFR) द्वारा मुहैया कराई गई स्पेशल ट्रेन में चढ़ना था, तो कंपनी कमांडर ने पहले इसकी स्थिति का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सामने आया कि ट्रेन के कोच कई महीनों से बंद पड़े थे और उनका कोई रखरखाव नहीं हुआ था।
खिड़कियों और दरवाजों में छेद थे, टॉयलेट क्षतिग्रस्त थे, कुछ डिब्बों में बल्ब या लाइट ही नहीं थी। गद्दियां गायब थीं और सीटें बेहद गंदी हालत में थीं। इन हालातों को देखते हुए बीएसएफ जवानों ने इसमें यात्रा करने से इनकार कर दिया।
रेल मंत्रालय ने मानी लापरवाही, तत्काल दी गई दूसरी ट्रेन
इस गंभीर मामले में रेलवे की भारी किरकिरी हुई। रेल मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए चार जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर दिया। वहीं, नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि जवानों की आपत्ति को पूरी तरह जायज माना गया है और उसी दिन पहली ट्रेन को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद 10 जून को एक नई और बेहतर स्थिति वाली ट्रेन जवानों के लिए उपलब्ध कराई गई, जिसमें वे रवाना हुए।
रेलवे पर उठे सवाल, जवानों के सम्मान को ठेस

इस घटना के बाद रेलवे की कार्यशैली और व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। खासतौर से ऐसे समय में, जब ये जवान दुर्गम पहाड़ी इलाकों में तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए तैनात किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग इसे सुरक्षाबलों के सम्मान के साथ खिलवाड़ बता रहे हैं।
अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से, इस बार 38 दिन की अवधि
उल्लेखनीय है कि अमरनाथ यात्रा इस वर्ष 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त को समाप्त होगी। इस बार यह यात्रा 38 दिन की होगी, जबकि पिछले साल यह अवधि 52 दिन थी। यात्रा का समापन रक्षाबंधन पर ‘छड़ी मुबारक’ के दर्शन के साथ होगा। बीएसएफ सहित कई अन्य सुरक्षाबलों के जवानों को इस यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए जम्मू-कश्मीर में तैनात किया जा रहा है।
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