Trending News

February 6, 2025 1:13 PM

भारत को गुलाम बनाने से हुई आधी कमाई ब्रिटेन के 10 प्रतिशत अमीरों की जेब में गई, सामने आए आंकड़े

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में खुलासा, 1765 से 1947 तक ब्रिटेन ने भारत से 64.82 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति लूटी।

200 सालों में अंग्रेजों ने भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई की

नई दिल्ली।
ब्रिटेन ने भारत पर 1765 से 1947 के दौरान करीब 200 वर्षों तक शासन किया। इस अवधि में अंग्रेजों ने भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति लूटी, जिसमें से लगभग 33.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर ब्रिटेन के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों के पास चली गई। यह जानकारी हाल ही में एक रिपोर्ट में सामने आई है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह रकम इतनी विशाल थी कि ब्रिटिश पाउंड के 50 के नोटों से लंदन को लगभग चार बार ढंका जा सकता था। यह खुलासा ऑक्सफैम इंटरनेशनल की नवीनतम वैश्विक असमानता रिपोर्ट में हुआ, जिसे हर साल विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक के पहले दिन जारी किया जाता है। इस रिपोर्ट का शीर्षक “टेकर्स, नॉट मेकर्स” है।

ब्रिटेन ने कैसे की भारत से लूट?

1765 से 1900 के बीच ब्रिटेन के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों ने भारत से भारी मात्रा में धन निकाला। यह लूट मुख्य रूप से उपनिवेशवाद और गुलामी के माध्यम से हुई। इस दौरान भारत के संसाधनों का व्यापक शोषण हुआ, जिससे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व लाभ हुआ। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह संपत्ति वैश्विक असमानता का आधार बनी।

ऑक्सफैम ने विभिन्न अध्ययनों और शोध पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि औपनिवेशिक समय की असमानता और आर्थिक लूट ने आधुनिक दुनिया को गहराई से प्रभावित किया है। भारत जैसे देशों से संसाधनों और श्रम का शोषण, वैश्विक दक्षिण और उत्तर के बीच संपत्ति की खाई को बढ़ाने का प्रमुख कारण रहा है।

वैश्विक दक्षिण का शोषण और उत्तर का लाभ

ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक उत्तर की समृद्धि वैश्विक दक्षिण के लोगों के व्यवस्थित शोषण पर आधारित है। रिपोर्ट में बताया गया कि औपनिवेशिक युग में शुरू हुआ यह शोषण आज भी आधुनिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में जारी है। ये कंपनियां अक्सर एकाधिकार की स्थिति में होती हैं और श्रमिकों का विशेष रूप से महिलाओं का शोषण करती हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ब्रिटेन के कई धनी परिवार अपनी संपत्ति का श्रेय उपनिवेशवाद और गुलामी से जुड़े मुआवजों को देते हैं। जब गुलामी को समाप्त किया गया, तो ब्रिटिश सरकार ने गुलाम मालिकों को भारी मुआवजा दिया, जिससे उनके वंशज आज भी लाभान्वित हो रहे हैं।

ईस्ट इंडिया कंपनी की भूमिका

रिपोर्ट में आधुनिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को उपनिवेशवाद की देन बताया गया है। इसमें कहा गया है कि इस प्रक्रिया की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी जैसे निगमों से हुई, जिन्होंने औपनिवेशिक अपराधों के लिए स्वयं कानून बनाए। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में शोषण और लूट की नींव रखी, जो बाद में ब्रिटिश शासन के दौरान और मजबूत हुई।

ऑक्सफैम ने दावा किया कि आधुनिक बहुराष्ट्रीय कंपनियां उसी मॉडल पर काम करती हैं। उनके धनी शेयरधारक मुख्य रूप से वैश्विक उत्तर में रहते हैं, जबकि उनके लाभ का अधिकांश हिस्सा वैश्विक दक्षिण के श्रमिकों के शोषण से आता है।

असमानता पर सवाल

इस रिपोर्ट ने वैश्विक आर्थिक असमानता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आज भी वैश्विक उत्तर के कुछ देशों की संपन्नता का आधार उपनिवेशवाद और गुलामी के समय की लूट है।

ऑक्सफैम ने बताया कि औपनिवेशिक काल में भारत जैसे देशों से निकाले गए संसाधन और धन ने न केवल ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया बल्कि विश्व में संपत्ति के असमान वितरण को भी बढ़ावा दिया।

क्या हो सकते हैं समाधान?

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि:

  1. न्यायसंगत कर प्रणाली: वैश्विक स्तर पर ऐसे कर प्रणाली की जरूरत है, जो धनी देशों और कंपनियों की संपत्ति पर उचित कर लगाए।
  2. सामाजिक विकास में निवेश: वैश्विक दक्षिण में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार सृजन के लिए अधिक निवेश होना चाहिए।
  3. नस्लवाद और असमानता का उन्मूलन: नस्लवाद और आर्थिक असमानता को समाप्त करने के लिए ठोस नीतियां बनाई जानी चाहिए।

निष्कर्ष

1765 से 1947 तक भारत से ब्रिटेन द्वारा की गई लूट के ये आंकड़े इतिहास में उपनिवेशवाद के काले अध्याय को उजागर करते हैं। यह न केवल आर्थिक असमानता को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आज का वैश्विक आर्थिक ढांचा किस प्रकार औपनिवेशिक काल की विरासत पर आधारित है। ऑक्सफैम की यह रिपोर्ट उन गहरी खाइयों की ओर इशारा करती है, जिन्हें भरने के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on pocket