- परिवार को अंतिम दर्शन कराने के बाद नेमावर में नर्मदा किनारे होगा अंतिम संस्कार
हरदा। गुजरात में एक पटाखा फैक्ट्री का बॉयलर फटने से मृत 21 मजदूरों के शव आज मध्यप्रदेश लाए जाएंगे। धमाका इतना भीषण था कि कई मजदूरों के अंग 50 मीटर दूर तक बिखर गए। फैक्ट्री के पीछे खेत में भी कुछ मानव अंग मिले हैं। 3 मजदूरों की हालत गंभीर है, 5 मामूली रूप से घायल हैं। हादसा मंगलवार सुबह 8 बजे बनासकांठा के नजदीक डीसा में हुआ। सभी मजदूर हरदा और देवास जिले के रहने वाले थे। शव लेने पुलिस-प्रशासन टीम के साथ मंत्री नागर सिंह भी गुजरात गए हैं। बुधवार सुबह उन्होंने बताया कि देवास के 10 मजदूरों के शव उनके पैतृक गांव के लिए रवाना किए जा चुके हैं। बाकी शव भी पोस्टमॉर्टम के बाद भेजे जाएंगे।
एंबुलेंस में ही अंतिम दर्शन कर पाएंगे परिजन
खातेगांव एसडीएम प्रिया चंद्रावत, तहसीलदार अरविंद दिवाकर, टीआई विक्रांत झांझोट पीड़ित परिवारों से मिलने बुधवार सुबह एक बार फिर पहुंचे। आज नेमावर में शाम को अंतिम संस्कार होना है। परिजनों ने आग्रह किया है कि शवों को आखिरी बार देखने के लिए गांव लाया जाए। उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए नेमावर ले जाएं। अधिकारियों का कहना है कि शव क्षत-विक्षत हालत में हैं। परिजनों से बातचीत के बाद तय हुआ कि एंबुलेंस में ही अंतिम दर्शन करवाकर शवों को सीधे नेमावर घाट पर ले जाया जाएगा
घायल बोला- धमाका हुआ और बेहोश हो गए
पालनपुर के बनास मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भेजे गए मजदूर विजय से बात की। विजय ने कहा कि हम फैक्ट्री के अंदर काम कर रहे थे। तभी अचानक ब्लास्ट हुआ और मैं बेहोश हो गया। जब आंखें खोलीं तो मेरे चारों ओर आग थी। झुलसी हालत में ही किसी तरह फैक्ट्री से बाहर भागा।
हादसे में बेटे-बहू, पोती को खोया
मैं कमाने के लिए गुजरात जा रहा हूं, एक महीने में लौट आऊंगा, परिवार में सबका ध्यान रखना। गुजरात जाने से पहले देवास के संदलपुर के रहने वाले राकेश ने अपनी मां शांताबाई से आखिरी बार यह बात कही थी। इसके चार दिन बाद उसकी मौत की खबर मिली। शांताबाई बेटे, पोती किरण और बहू डाली को याद करते हुए फफक पड़ी।
हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट में बच गया था राकेश
हादसे में संदलपुर के राकेश भोपा, उसकी पत्नी डाली बाई, बच्ची किरण (7) की? मौत हो गई है। छोटी बेटी नैना (4) घायल है।? राकेश के परिवार में पिता लकवाग्रस्त है। बड़े भाई संतोष को गंभीर बीमारी है। हाल ही में मां शांताबाई के पेट से 5 किलो की गांठ निकाली गई थी। इन सभी के इलाज के लिए परिवार ने कर्ज लिया था। शांताबाई ने बताया कि बेटे को बाहर काम पर जाने से मना किया था। लेकिन उसका कहना था कि कर्ज चुकाने के लिए ज्यादा कमाई करनी होगी। राकेश पिछले साल हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट से बच गया था। उस दिन वह फैक्ट्री नहीं गया था।
खत्म हो गया लखन का परिवार
संदलपुर की लालखेड़ी मोहल्ला भोपा कॉलोनी में भोपा समाज के करीब 15-20 घर हैं। सात-आठ महीने पहले तक ये लोग वाहन से घूमकर कुकर और गैस सुधारने का काम करते थे। पहली बार गुजरात गए? और हादसे का शिकार हो गए। प्यारेलाल भोपा ने बताया, लखन मेरे काका गंगाराम का लड़का था। एक ही परिवार के छह लोग ?थे। लखन, उसकी पत्नी सुनीताबाई, बहन राधा और रुकमा, छोटा भाई अभिषेक, मां शायराबाई भी हादसे का? शिकार हो गए। गंगाराम के परिवार में कोई नहीं बचा।
मालिक के बुलावे पर गुजरात गया था पंकज
हादसे में देवास के खातेगांव के पंकज सांकलिया की भी मौत हो गई। पहले वह हरदा में पटाखा फैक्ट्री संचालक की गाड़ी चलाता था। धीरे-धीरे उसने पटाखे बनाना भी सीख लिया। 3-4 दिन पहले ही गुजरात की फैक्ट्री के मालिक के बुलावे पर वहां गया था। खातेगांव विधायक आशीष शर्मा मंगलवार रात को संदलपुर में पीड़ित परिवार से मिले। विधायक ने कहा, ये भी लोग पटाखे बनाने में माहिर थे, इसलिए एक ठेकेदार इन्हें अपने साथ गुजरात की पटाखा फैक्ट्री में काम कराने ले गया था। इसके 3-4 दिन बाद ही हादसा हो गया। फिलहाल हमारी प्राथमिकता यही है कि शवों को सुरक्षित लाकर अंतिम संस्कार कराया जाए।