नई दिल्ली।
भारत की ओर से पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में की गई एयर स्ट्राइक के ठीक बाद मंगलवार रात पूरे देश में एक विशेष तैयारी देखी गई। पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन बाद जब भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया, ठीक उसी दौरान देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 244 शहरों में 12 मिनट की ब्लैकआउट एक्सरसाइज की गई।

इस ब्लैकआउट ड्रिल का उद्देश्य किसी भी संभावित युद्ध या हवाई हमले जैसी आपात स्थिति में नागरिकों की तैयारी, सजगता और सामूहिक उत्तरदायित्व को परखना था।


क्या है यह ब्लैकआउट एक्सरसाइज?

गृह मंत्रालय द्वारा 244 शहरों को 'सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट' घोषित किया गया है। इन क्षेत्रों में युद्ध या आतंकी हमलों के दौरान नागरिकों की सुरक्षा के लिए खास रणनीति अपनाई जाती है।
ड्रिल के तहत इन शहरों में 12 मिनट तक बिजली बंद रखी गई, सायरन बजाए गए और लोगों को आपातकालीन बचाव प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई।

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कैसे की गई तैयारी?

  • इन शहरों में स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों और रिहायशी क्षेत्रों में मॉक ड्रिल कराई गई।
  • लोगों को सिखाया गया कि अगर बम विस्फोट या मिसाइल हमला हो जाए, तो कैसे सुरक्षित स्थानों पर जाना है।
  • स्वयंसेवकों और सिविल डिफेंस कर्मियों ने लोगों को निकालने, प्राथमिक चिकित्सा देने और बचाव के अन्य उपायों का प्रशिक्षण दिया।

श्रेणियों में बांटे गए जिले

गृह मंत्रालय ने सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स को तीन कैटेगरी में वर्गीकृत किया है:

  • कैटेगरी 1: अत्यधिक संवेदनशील जिले
  • कैटेगरी 2: मध्यम संवेदनशील जिले
  • कैटेगरी 3: न्यूनतम संवेदनशील जिले

यह वर्गीकरण भौगोलिक स्थिति, सीमावर्ती क्षेत्र, आतंकी खतरे और सामरिक महत्व के आधार पर किया गया है।


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कब जारी हुआ आदेश?

गृह मंत्रालय ने 5 मई को ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए थे कि वे 6 और 7 मई की रात को ब्लैकआउट ड्रिल कराएं। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य था कि आम लोग भी संभावित युद्ध या आतंकी खतरे की स्थिति में घबराएं नहीं, बल्कि व्यवस्थित तरीके से प्रतिक्रिया दें।


क्यों जरूरी थी यह तैयारी?

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और ISPR ने भारतीय एयर स्ट्राइक के जवाब में कार्रवाई की धमकी दी है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने साफ शब्दों में कहा –

"आज की रात कुछ भी हो सकता है।"

ऐसे में यह मॉक ड्रिल न केवल प्रतीकात्मक थी, बल्कि देश की आंतरिक तैयारियों का असल परीक्षण भी थी।


भारत ने जहां सीमा पार कर आतंक के अड्डों को नेस्तनाबूद कर अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया, वहीं देश के भीतर नागरिक सुरक्षा की तैयारी को भी परखा गया।
इस तरह की ड्रिल न केवल सशक्त राष्ट्र की निशानी हैं, बल्कि नागरिकों को सजग और सुरक्षित रखने का भी माध्यम हैं। क्योंकि… "आज भी कुछ हो सकता है।"