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April 21, 2025 9:53 PM

दिल्ली में भाजपा का परचम: इकबाल सिंह नए मेयर निर्वाचित, आम आदमी पार्टी ने चुनाव से बनाया किनारा

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नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (MCD) में एक बार फिर भाजपा ने अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करते हुए मेयर पद पर कब्जा कर लिया है। इकबाल सिंह को दिल्ली का नया मेयर चुन लिया गया है। दिलचस्प बात यह रही कि आम आदमी पार्टी (AAP), जिसने पिछले दो वर्षों से मेयर पद अपने नाम किया था, इस बार चुनाव प्रक्रिया से किनारा कर गई। इससे भाजपा उम्मीदवार की निर्विरोध जीत का रास्ता साफ हो गया।

निर्विरोध चुने गए इकबाल सिंह

दिल्ली नगर निगम की महापौर पद के लिए सोमवार को चुनाव प्रस्तावित था, लेकिन आम आदमी पार्टी की ओर से कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा गया। इसके चलते भाजपा प्रत्याशी इकबाल सिंह निर्विरोध दिल्ली के मेयर चुन लिए गए। निगम मुख्यालय में हुई इस प्रक्रिया में नामांकन के आखिरी समय तक केवल इकबाल सिंह के ही नामांकन पत्र जमा हुए थे।

नगर निगम चुनाव अधिकारी ने इकबाल सिंह की नियुक्ति की औपचारिक घोषणा की। उनके साथ-साथ उपमेयर के पद पर भी भाजपा उम्मीदवार की ताजपोशी तय मानी जा रही है।

AAP के कदम पर सवाल

आम आदमी पार्टी ने अचानक इस चुनाव से पीछे हटकर राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को जन्म दे दिया है। AAP की ओर से अभी तक इस फैसले की कोई ठोस वजह सार्वजनिक रूप से नहीं बताई गई है। हालांकि, पार्टी के सूत्रों का कहना है कि यह रणनीतिक फैसला है, क्योंकि नगर निगम में फिलहाल स्थायी समिति को लेकर विवाद जारी है, और पार्टी नहीं चाहती कि इस विवाद के बीच कोई नया राजनीतिक मोर्चा खोला जाए।

दिल्ली सरकार और एलजी के बीच हाल ही में चले टकराव के मामलों के बीच AAP के इस रुख को एक राजनीतिक संदेश भी माना जा रहा है।

बीजेपी को मिला मनोबल

भाजपा के लिए यह जीत राजधानी की राजनीति में एक अहम मोड़ मानी जा रही है। दो बार लगातार मेयर पद गंवाने के बाद पार्टी को अब निगम में अपना चेहरा दिखाने का अवसर मिला है। इकबाल सिंह के चुनाव को लेकर पार्टी नेताओं ने खुशी जताई और कहा कि वह दिल्ली के नागरिकों के हित में पूरी निष्ठा से कार्य करेंगे।

दिल्ली में बदलता राजनीतिक संतुलन?

इकबाल सिंह का मेयर बनना और AAP का चुनाव से हटना, यह दर्शाता है कि दिल्ली में राजनीतिक समीकरणों में लगातार बदलाव हो रहे हैं। आने वाले समय में यह देखा जाना बाकी है कि AAP इस निर्णय को कैसे प्रस्तुत करती है और भाजपा इसे कैसे भुनाती है।

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