बिहार, बंगाल और तमिलनाडु चुनाव के लिए भाजपा ने नियुक्त किए प्रभारी, बड़े नेताओं को मिली जिम्मेदारी
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को तीन अहम राज्यों – बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु – के विधानसभा चुनावों को देखते हुए प्रभारियों और सह-प्रभारियों की नियुक्ति की। पार्टी का यह कदम इन राज्यों में चुनावी समीकरण को साधने और संगठन को मजबूत करने की दिशा में बड़ा माना जा रहा है।
बिहार: जातीय समीकरणों में भाजपा का दांव
बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। यहाँ भाजपा और जदयू गठबंधन की सरकार है। भाजपा ने बिहार के प्रभारी के रूप में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को नियुक्त किया है।
प्रधान, मोदी-शाह की टीम के भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते हैं। वे ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक जैसे राज्यों में चुनावी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। जातीय समीकरणों से जटिल बिहार में उनका संगठनात्मक अनुभव भाजपा के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
सह-प्रभारी के तौर पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल को जिम्मेदारी दी गई है। मौर्य ओबीसी वर्ग में गहरी पकड़ रखते हैं, जो बिहार के बड़े वोट बैंक को साधने में मददगार होगा।

पश्चिम बंगाल: ममता के गढ़ में भाजपा की रणनीति
2026 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव होने हैं, जहाँ इस समय ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सत्ता में है। भाजपा ने यहां के प्रभारी के रूप में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को नियुक्त किया है।
यादव भाजपा के सबसे भरोसेमंद रणनीतिकारों में माने जाते हैं। उन्होंने बिहार (2020), मध्य प्रदेश (2023), गुजरात (2017), झारखंड (2014) और उत्तर प्रदेश (2017) में चुनाव प्रभारी रहते पार्टी को जीत दिलाई थी। ऐसे में बंगाल जैसे जटिल और हिंसात्मक राजनीति वाले राज्य में उनका अनुभव भाजपा की रणनीति को मजबूत करेगा।
सह-प्रभारी की जिम्मेदारी त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को दी गई है, जिनकी संगठन पर पकड़ और क्षेत्रीय पहचान भाजपा को बंगाल में जमीनी स्तर तक पहुंचाने में मदद कर सकती है।

तमिलनाडु: भाजपा का ‘नया चेहरा’
तमिलनाडु में भी 2026 में चुनाव होने हैं, जहाँ फिलहाल डीएमके की सरकार है। भाजपा ने यहाँ के प्रभारी के रूप में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और सांसद बैजयंत पांडा को नियुक्त किया है।
पांडा की साफ छवि और अंग्रेज़ी में प्रभावशाली वक्तृत्व कला भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकती है। वे दिल्ली (2025), उत्तर प्रदेश (2024 लोकसभा) और कर्नाटक (2023) जैसे चुनावों में प्रभारी रह चुके हैं, जहाँ पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की। तमिलनाडु जैसे राज्य में, जहाँ भाजपा अब तक क्षेत्रीय स्तर पर गहराई से नहीं उतरी है, उनकी गैर-विवादित छवि संगठन के विभिन्न धड़ों को एकजुट करने में मददगार होगी।
सह-प्रभारी के रूप में महाराष्ट्र के नेता मुरलीधर मोहोल को जिम्मेदारी दी गई है, जो दक्षिण भारत में भाजपा की पैठ बनाने के प्रयासों को गति देंगे।

भाजपा की बढ़ती रणनीतिक तैयारी
भाजपा ने तीनों राज्यों में चुनावी जिम्मेदारी उन नेताओं को दी है जिनका संगठनात्मक रिकॉर्ड मजबूत है और जिन्होंने पहले भी राज्यों में जीत दिलाई है।
- धर्मेंद्र प्रधान जातीय जटिलता वाले बिहार में भाजपा को लाभ पहुंचा सकते हैं।
- भूपेंद्र यादव जैसे मास्टर स्ट्रैटेजिस्ट पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को कड़ी चुनौती दे सकते हैं।
- बैजयंत पांडा की ताज़ा और साफ छवि तमिलनाडु में भाजपा को एक नया विकल्प पेश करने में सहायक होगी।
विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की यह नियुक्तियाँ साफ संदेश देती हैं कि पार्टी अब केवल उत्तरी राज्यों पर निर्भर नहीं, बल्कि पूर्वी और दक्षिणी भारत में भी गंभीरता से अपनी जड़ें जमाने की तैयारी कर रही है।
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