बिटकॉइन की कीमत 1.08 करोड़ पार: रहस्यमयी सफर और ‘सबसे महंगे पिज्जा’ की कहानी

नई दिल्ली। डिजिटल करेंसी की दुनिया में बिटकॉइन ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। पहली बार इसकी कीमत ₹1.08 करोड़ के पार पहुंच गई है। यह वही बिटकॉइन है, जिसकी शुरुआत 2009 में लगभग शून्य मूल्य से हुई थी। आज यह निवेशकों, टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों और आम लोगों के बीच चर्चा का बड़ा विषय है। इसके पीछे न केवल इसकी कीमत का उतार-चढ़ाव, बल्कि इसके साथ जुड़े रोचक किस्से भी हैं।

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बिटकॉइन का पहला लेन-देन और ‘सबसे महंगे पिज्जा’

22 मई 2010 को फ्लोरिडा के एक प्रोग्रामर लास्जलो हैन्येज ने बिटकॉइन का पहला वास्तविक लेन-देन किया। उन्होंने बिटकॉइन फोरम पर पोस्ट डाली – "मैं 10,000 बिटकॉइन देकर दो पिज्जा खरीदना चाहता हूं।" उस समय 10,000 बिटकॉइन की कीमत महज 41 डॉलर थी।

उनकी इस पोस्ट का जवाब जेरेमी स्टर्डिवेंट नाम के युवक ने दिया। उसने पापा जॉन्स से दो पिज्जा मंगवाए और लास्जलो के घर डिलीवर करवा दिए। बदले में उसे 10,000 बिटकॉइन मिले। यह घटना आज ‘बिटकॉइन पिज्जा डे’ के नाम से जानी जाती है।

आज अगर वही 10,000 बिटकॉइन सुरक्षित रखे गए होते, तो उनकी कीमत 10 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा होती। यानी दो पिज्जा के एक-एक स्लाइस की कीमत लगभग 833 करोड़ रुपये बैठती। यही वजह है कि इन्हें ‘दुनिया के सबसे महंगे पिज्जा’ कहा जाता है।


सतोशी नाकामोतो: रहस्यमयी संस्थापक

बिटकॉइन का सबसे बड़ा रहस्य इसके संस्थापक का नाम है। इसे बनाने वाले ने खुद को कभी सामने नहीं आने दिया। बस एक छद्म नाम सामने आया – सतोशी नाकामोतो

अक्टूबर 2008 में उन्होंने एक व्हाइटपेपर जारी किया था – Bitcoin: A Peer-to-Peer Electronic Cash System। इसमें बताया गया था कि कैसे बिना बैंक और बिचौलियों के सीधे एक व्यक्ति से दूसरे को पैसे भेजे जा सकते हैं।

जनवरी 2009 में सतोशी ने पहला बिटकॉइन सॉफ्टवेयर लॉन्च किया और नेटवर्क को शुरू किया। उन्होंने खुद पहला ‘ब्लॉक’ माइन किया, जिसे ‘जेनेसिस ब्लॉक’ कहा जाता है।

सतोशी कुछ वर्षों तक ऑनलाइन फोरम पर सक्रिय रहे। वे डेवलपर्स से चर्चा करते, सुझाव देते और सुधार करते। लेकिन 2011 में अचानक गायब हो गए। उनका आखिरी ईमेल था – “मैं अब दूसरी चीजों पर काम कर रहा हूं। बिटकॉइन अच्छे हाथों में है।”

आज तक कोई नहीं जान पाया कि सतोशी असल में कौन थे – एक इंसान, कोई जापानी प्रोग्रामर या फिर लोगों का समूह। अनुमान है कि उनके पास करीब 10 लाख बिटकॉइन हैं, जिनकी कीमत अरबों डॉलर है। लेकिन उन्होंने उन्हें कभी छुआ तक नहीं।


क्यों खास है बिटकॉइन?

  • यह पहला मौका था जब किसी डिजिटल कोड को वास्तविक मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया गया।
  • बिटकॉइन ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है, जो पारदर्शी और सुरक्षित लेन-देन सुनिश्चित करती है।
  • किसी सरकार या संस्था का नियंत्रण नहीं होने से यह वैश्विक स्तर पर स्वतंत्र मुद्रा मानी जाती है।
  • इसकी सीमित संख्या (21 मिलियन) इसे दुर्लभ और मूल्यवान बनाती है।

वर्तमान में बिटकॉइन

आज एक बिटकॉइन ₹1.08 करोड़ के पार पहुंच चुका है। निवेशक इसे ‘डिजिटल गोल्ड’ कहते हैं। जहां कुछ देश इसे वैध मुद्रा मान चुके हैं, वहीं कई सरकारें इसकी अस्थिरता और अवैध लेन-देन के खतरे के कारण सतर्क हैं।

इसके बावजूद, बिटकॉइन का आकर्षण कम नहीं हुआ है। यह उन कुछ आविष्कारों में से एक है जिसने तकनीक, अर्थव्यवस्था और समाज – तीनों पर गहरा असर डाला है।



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