बिहार में मतदाता सूची विवाद: 124 साल की मिंता देवी के नाम पर विपक्ष ने चुनाव आयोग पर साधा निशाना

पटना। बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी दलों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। विपक्ष ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में 124 वर्ष की मिंता देवी नामक महिला का नाम शामिल करने का आरोप लगाते हुए इसे चुनाव प्रक्रिया में गंभीर धोखाधड़ी बताया है। इस मुद्दे ने राजनीतिक हलकों में तहलका मचा दिया है और संसद के बाहर भी इसका विरोध जोर पकड़ रहा है।

124 साल की महिला का नाम मतदाता सूची में: विरोध की वजह

मिंता देवी का नाम मतदाता सूची में शामिल होना कई दलों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। विपक्ष का दावा है कि यह नामांकन चुनाव आयोग की लापरवाही और जल्दबाजी का नतीजा है। 124 साल की उम्र वाली महिला का मतदाता सूची में नाम होना आमतौर पर असंभव और अजीबोगरीब स्थिति मानी जा रही है। खास बात यह है कि यह नाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने प्रेजेंटेशन में भी उठाया था और इसे मतदाता सूची में बड़े स्तर पर धोखाधड़ी का उदाहरण बताया था।

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संसद के बाहर अनोखा विरोध: टी-शर्ट पर ‘MINTA DEVI’ का संदेश

इस विवाद को लेकर मंगलवार को संसद के बाहर एक खास प्रदर्शन देखने को मिला। विपक्षी नेताओं ने ‘MINTA DEVI’ नाम की टी-शर्ट पहनी, जिस पर एक महिला की तस्वीर के साथ '124 नॉट आउट' लिखा था। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी नेता इस प्रदर्शन का हिस्सा रहे। यह प्रदर्शन सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हुआ, जिससे इस मुद्दे को व्यापक जन-समर्थन मिला। इस प्रदर्शन का मकसद चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग करना था।

विपक्ष का आरोप: चुनाव आयोग की लापरवाही से हुई बड़ी गलती

विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग की जल्दबाजी और निष्पक्षता की कमी के कारण मतदाता सूची में ऐसी बड़ी गड़बड़ी हुई है। मतदाता सूची का पुनरीक्षण बड़े पैमाने पर किया गया है, लेकिन इस प्रकार की विसंगतियाँ चुनाव की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। विपक्ष ने चुनाव आयोग से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है ताकि ऐसी गड़बड़ियों को रोका जा सके और भविष्य में मतदाता सूची की विश्वसनीयता सुनिश्चित हो।

मीडिया रिपोर्ट्स से हुआ सच का खुलासा

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की जांच में पता चला है कि मिंता देवी, जिनका नाम विवादित सूची में था, असल में धनंजय कुमार सिंह की पत्नी हैं और उनकी वास्तविक उम्र केवल 35 साल है। यह गड़बड़ी ऑनलाइन फॉर्म भरते समय हुई, जहां गलती से उनकी उम्र 124 वर्ष दर्ज कर दी गई। यह तकनीकी त्रुटि चुनाव प्रक्रिया में की गई लापरवाही को उजागर करती है और मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है।

मतदाता सूची पुनरीक्षण पर व्यापक सवाल

यह मामला न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में मतदाता सूची के पुनरीक्षण प्रक्रिया की जांच के लिए नए सिरे से बहस का विषय बना है। विपक्ष यह मांग कर रहा है कि चुनाव आयोग तत्काल इस मामले की गंभीरता से जांच करे और दोषियों को दंडित करे। साथ ही, मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और कड़ाई लाने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों से बचा जा सके।

चुनाव आयोग की भूमिका और जवाबदेही

चुनाव आयोग पर यह जिम्मेदारी बनती है कि वह मतदाता सूची की सत्यता और संपूर्णता सुनिश्चित करे। हालांकि इस मामले में आयोग ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विपक्षी दलों का दबाव बढ़ता जा रहा है। आयोग से उम्मीद की जा रही है कि वह इस विवादित मामले को गंभीरता से लेकर जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई करेगा ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता का विश्वास बना रहे।



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